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G-20 सम्मेलन में होगा 27 देश और दर्जनों वैश्विक संगठनों का महाकुंभ, रूस और चीन बैठक में नहीं लेंगे हिस्सा

G-20 Summit को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। रूस के बाद चीन के राष्ट्रपति ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया है। बता दें भारत ने पिछले वर्ष जब जी-20 की अध्यक्षता संभाली तब यूक्रेन पर रूस का हमला एक बड़ा मुद्दा था। वहीं भारत के पीएम 10 सितंबर 2023 को ब्राजील के राष्ट्रपति को अगले अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 04 Sep 2023 09:16 PM (IST)
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दिल्ली में तैयारी जोरों पर; 09-10 सितंबर को होगी G-20 की बैठक।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) को लेकर सारी तैयारियां हो चुकी हैं। 09-10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली इस बैठक को लेकर काफी जोश है। बैठक के बाद साझा घोषणा पत्र जारी होगा या नहीं इसको लेकर उलझन बरकरार है। रूस के बाद चीन के राष्ट्रपति ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान किया है हालांकि दोनों देशों का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल इसमें हिस्सा लेगा। यूक्रेन विवाद का साया पूरी बैठक पर पड़ने की संभावना है।

आर्थिक नीतियों को लेकर होगी चर्चा

भारत बतौर अध्यक्ष सभी देशों के बीच सामंजस्य बनाने की भरसक कोशिश में है। एक तरफ अमेरिका के पक्ष में सबसे अमीर सात देशों का समूह (जी-7) और दूसरी तरफ रूस व चीन का गठजोड़ के बीच बढ़ते तनाव से जी-20 के भावी स्वरूप को लेकर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। इन गतिविधियों के बीच हम यहां देखते हैं कि जी-20 का गठन किन परिस्थितियों में हुआ और यह किस तरह से काम करता है।

20वीं सदी के आखिरी दशक के दौरान दुनिया के कई हिस्सों में आर्थिक संकट की विभीषका को देखते पहली बार दुनिया में आर्थिक स्थिति से मजबूत शीर्ष 20 देशों के वित्त मंत्रियों और इनके केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों को मिलाकर एक संगठन बनाया गया था जिसे जी-20 का नाम दिया गया। इसके तहत आर्थिक नीतियों व कायदे-कानून में एक सामंजस्य बनाने को लेकर चर्चा शुरू भी हुई थी।

वर्ष 2007-08 के वैश्विक संकट के बाद जी-20 समूह की अहमियत को समझते हुए सदस्य देशों ने राष्ट्र प्रमुख स्तर पर इसे बढ़ाया। उसके बाद हर वर्ष संगठन के अध्यक्ष की अगुवाई में इसकी शिखर बैठक होती है। भारत पहली बार वर्ष 2023 के लिए इस संगठन की अध्यक्षता कर रहा है।

शुरुआत में सिर्फ आर्थिक नीतियों पर सहमति बनाने व सभी के हितों को प्रभावित करने वाले नीतियों पर चर्चा की शुरुआत हुई थी लेकिन धीरे धीरे इसके एजेंडे में कारोबार, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार रोधी विषय को भी इसमें शामिल किया गया है।

जी-20 संगठन में 19 देश (अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडिया, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिणी अफ्रीका, तुर्किए, ब्रिटेन और अमेरिका) और यूरोपीय संघ हैं। इन देशों में विश्व की दो तिहाई आबादी रहती है जबकि इनके पास दुनिया की कुल जीडीपी का 85 फीसद है और कुल वैश्विक कारोबार का भी 75 फीसद इनके पास है।

ब्राजील होगा G-20 का अगला अध्यक्ष

आज दुनिया में जो आर्थिक संकट पैदा होता है तो उसमें सभी देशों के बीच एक सामंजस्य बनाने का यह सबसे प्रमुख मंच है। इस संगठन की एक अनूठा खासियत यह है कि संयुक्त राष्ट्र या विश्व बैंक की तरह इसका अपना कोई सचिवालय नहीं है बल्कि जिस देश के पास अध्यक्षता होती है वह इसका इंतजाम करता है। यहां तक कि सालाना बैठक का एजेंडा तय करने में भी अध्यक्ष देश की अहम भूमिका होती है। एजेंडे पर विमर्श को आसान बनाने के लिए 19 देशों को पांच समूह में बांटा गया है।

भारत ग्रूप-दो का सदस्य है जिसमें रूस, तुर्किए और दक्षिण अफ्रीका अन्य तीन सदस्य हैं। हर वर्ष एक ग्रूप के सदस्य को अध्यक्षता करने का अवसर मिलता है। इसके तहत ही भारत को 01 दिसंबर, 2022 से नवंबर, 2023 तक इसका अध्यक्ष बनाया गया है। भारत के पीएम 10 सितंबर, 2023 को ब्राजील के राष्ट्रपति को अगले अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपेंगे।

पिछले वर्ष अध्यक्ष बनने के साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी जिम्मेदारी खास तरीके से निभाएगा। सबसे पहले तो भारत ने बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्त्र, मारीशस, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, नीदरलैंड और स्पेन को बतौर मेहमान आमंत्रित किया। ये सारे देश भारत की रणनीतिक हितों के लिए खास मायने रखते हैं और इन्हें जी-20 में आमंत्रित करके भारत ने इन देशों को सबसे बड़े मंच पर अपनी बात रखने का मौका दिया है।

इसके अलावा जी -20 बैठक में डब्लूएचओ, विश्व बैंक, आइएमएफ, यूएन, डब्लूटीओ, ओईसीडी के अलावा क्षेत्रीय संगठनों जैसे आसियान, एयूडीए-एनईपीएडी (अफ्रीकी देशों का संगठन) के प्रतिनिधि भी इस बैठक में हिस्सा लेते हैं।

G-20 शेरपा ट्रैक और वित्त ट्रैक पर करता है काम

जी-20 मुख्यत: दो ट्रैक पर काम करता है। एक शेरपा ट्रैक और दूसरा वित्त ट्रैक। भारत सरकार ने नीति आयोग के पूर्व सीइओ अमिताभ कांत को अपना शेरपा नियुक्त किया है जिनकी अगुवाई में दर्जनों बैठकों का आयोजन हुआ है।

शेरपा ट्रैक के तहत कृषि, भ्रष्टाचार के खात्मे, संस्कृति, डिजिटल इकोनोमी, विकास, प्राकृतिक आपदा को कम करना, शिक्षा और रोजगार, ऊर्जा, पर्यटन, कारोबार जैसे विषय शामिल हैं। इन सभी विषयों पर अलग अलग कार्यदल बनाये गये हैं।

वित्त ट्रैक की अगुवाई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर रही हैं। इसमें फ्रेमवर्क तैयार करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचा तैयार करने, ढांचागत व्यवस्था, वित्तीय समावेश, सतत विकास जैसे आठ वित्तीय मुद्दे हैं। इसके अलावा 11 विषयों पर अलग अलग समूह बने हैं जिसमें श्रम, संसद, स्टार्टअप, शहरी विकास, युवा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन समूहों की भी अलग अलग बैठकें नौ महीनों से चल रही हैं।

सभी देशों के शेरपा इन बैंठकों की भी निगरानी करते रहते हैं। जी-20 के तहत महिला सशक्तिकरण, अंतरिक्ष से जुड़ी अर्थव्यवस्था, विज्ञान व तकनीक सहयोग जैसे मुद्दे भी हैं और इनकी बैठकों का दौर भी अलग से चल रहा है। इसमें विभिन्न देशों के सांसदों, एनजीओ, शोधकर्ताओं, थिंक टैंक आदि के बीच विमर्श होता है।

जिन मुद्दों पर सहमति बनती है उसे वैश्विक स्तर पर लागू करने का रोडमैप तैयार होता है। जिसे हर देश अपने अपने स्तर पर अपनाते हैं। जैसे अभी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े नियमों पर एक आम नियम बनाने की कोशिश हो रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग का रोडमैप जी-20 संगठन के जरिए ही तैयार हुआ है।

रूस और चीन बैठक में नहीं लेंगे भाग

भारत ने पिछले वर्ष जब जी-20 की अध्यक्षता संभाली तब यूक्रेन पर रूस का हमला एक बड़ा मुद्दा था। एक तरफ अमेरिका और इसके सहयोगी विकसित पश्चिमी देश थे तो दूसीर तरफ सिर्फ रूस था। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह साफ हो गया है कि चीन रूस का सबसे मजबूत साझेदार है। दोनो देशों के राष्ट्रपतियों ने नई दिल्ली में 09-10 सितंबर, 2023 को होने वाले बैठक में हिस्सा भी नहीं ले रहे।

भारत ने बतौर अध्यक्ष इस बात की पूरी कोशिश की है कि सभी देशों के बीच सहमति बने और शिखर बैठक के बाद एक साझा घोषणा पत्र जारी हो। लेकिन अभी तक के जो संकेत हैं उसमें इस बात की संभावना कम ही नजर आती है। बहुत संभव है कि जी-20 का यह पहला शिखर सम्मेलन होगा जिसके बाद कोई साझा घोषणा-पत्र जारी नहीं होगा। ऐसे में जो प्रपत्र जारी होगा उसका क्या नाम दिया जाए, इसको लेकर अंत-अत तक विमर्श होने की संभावना है।

वैसे भारत ने इस साल के एजेंडे में विकासशील देशों से जुड़े कई मुद्दों को प्रमुखता से उठाने में सफलता हासिल की है। डिजिटल इकोनमी की अहमियत को देखते हुए भारत ने इस क्षेत्र मे अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रस्ताव किया है जिस पर सहमति बनती दिख रही है। अफ्रीकी देशों को जी-20 संगठन में प्रतिनिधित्व दिए जाने के भारत के प्रस्ताव को भी हरी झंडी मिलती दिख रही है।