कारतूस में सुअर और गाय की चर्बी! वो किस्सा जिसकी वजह से मंगल पांडे ने छेड़ दी थी अंग्रेजों के खिलाफ जंग
भारत की आजादी की बात की जाती है तो मंगल पांडे (Mangal Pandey) का जिक्र हमेशा किया जाता है। 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। उस समय मंगल पांडे पश्चिम बंगाल के बैरकपुर छावनी में तैनात थे। इतिहासकार रूद्रांशु मखर्जी ने अपनी किताब डेडलाइन 1857 रिवोल्ट अगेंस्ट द राज में मंगल पांडे के एक किस्से का जिक्र किया है।
जागरण डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Pandey: भारत की आजादी की बात की जाती है तो मंगल पांडे का जिक्र हमेशा किया जाता है। 29 मार्च, 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। उस समय मंगल पांडे पश्चिम बंगाल के बैरकपुर छावनी में तैनात थे। इतिहासकार रूद्रांशु मखर्जी ने अपनी किताब 'डेडलाइन 1857 रिवोल्ट अगेंस्ट द राज' में मंगल पांडे के एक किस्से का जिक्र किया है, जिससे देश में स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हो गई थी।
रायफल का वो किस्सा...
दरअसल, पश्चिम बंगाल के बैरकपुर छावनी में तैनात मंगल पांडे और अन्य सैनिकों के लिए उस समय अलग कारतूस मंगाए गए थे। इन कारतूसों को उपयोग करने से पहले इन्हें दातों से काटना पड़ता था। इसमें एक हैरान कर देने वाली बात यह थी कि ये सभी कारतूस गाय और सुअर की चर्बी से तैयार किए गए थे। जब मंगल पांडे को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसका इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया और अन्य सैनिकों को भी इसका विरोध करने को कहा।
ब्राह्मण परिवार और सुअर की चर्बी...
बता दें कि मंगल पांडे ब्राह्मण परिवार से आते थे और अगर वह इसका इस्तेमाल करते तो उनका धर्म भ्रष्ट हो जाता। मंगल पांडे ने इसका विरोध करने के लिए अपनी रेजिमेंट का कोट पहना लेकिन उसके नीचे पतलून नहीं बल्कि धोती पहनी। इसके अलावा वह नंगे पैर भरी गोलियां की बंदूक के साथ अंग्रेजों के विरोध में खड़े हुए। हालांकि, मंगल पांडे का साथ अन्य सैनिकों ने नहीं दिया।जब अकेले ही अंग्रेजों के खिलाफ छेड़ी जंग
जब वह विरोध कर रहे थे तब उन्होंने सैनिकों से चिल्ला कर कहा कि फिरंगी यही है, तुम लोग तैयार क्यों नहीं हो रहे है। इन कारतूसों के इस्तेमाल से हमारा धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। धर्म की खातिर उठो। विरोध करने के लिए मंगल पांडे को उकसाया तो गया, लेकिन उनका साथ किसी ने नहीं दिया। मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ।
सजा से 10 दिन पहले ही मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई। उनकी फांसी का काफी विरोध भी हुआ। जगह-जगह प्रदर्शन किए गए और मेरठ सैनिक छावनी में भी अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छिड़ गया। इसी के साथ 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई।