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महिलाओं के बिना विकसित भारत का संकल्प अधूरा, रिपोर्ट में दावा- वर्कफोर्स में जोड़नी होंगी 40 करोड़ महिलाएं

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए वर्कफोर्स में 40 करोड़ अतिरिक्त महिलाएं जोड़नी होंगी। ऐसा एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2047 तक वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 37 प्रतिशत को लगभग दोगुना बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत होगी। हालांकि इसमें महिलाओं के नौकरी खोने की संभावना सात गुना अधिक पाई गई।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 24 Aug 2024 10:16 PM (IST)
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भारत ने 2047 तक 30 लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य रखा है। (File Image)

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। द नज इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने और भारतीय अर्थव्यवस्था में 14 लाख करोड़ रुपये का योगदान देने के लिए श्रमबल में 40 करोड़ अतिरिक्त महिलाएं जोड़नी होंगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2047 तक वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 37 प्रतिशत को लगभग दोगुना बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत होगी। पिछले कुछ वर्षों के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2047 तक 30 लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य रखा है।

पुरुष और महिलाओं के बीच भारी असमानता

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2047 तक केवल 11 करोड़ महिलाएं श्रमबल में होंगी। ऐसे में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महिला श्रम बल भागीदारी में पर्याप्त बढ़ोतरी की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में पुरुषों और महिलाओं के बीच नौकरी की सुरक्षा व सुधार के मामले में भारी असमानता की जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के नौकरी खोने की संभावना सात गुना अधिक पाई गई और नौकरी छूटने के बाद भी ठीक न होने की संभावना ग्यारह गुना अधिक पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में कार्यरत लगभग आधी महिलाएं 2020 तक श्रमबल से बाहर हो चुकी थीं।

भागीदारी बढ़ाने के तरीके

महिलाएं मुख्य रूप से कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों जैसे कि कृषि और विनिर्माण में काम करती हैं, जहां उन्हें सीमित उन्नति का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाने के लिए तीन प्रमुख तरीके बताए गए हैं। इसमें प्लेटफॉर्म जॉब्स और डिजिटल माइक्रोवर्क के माध्यम से काम को फिर से परिभाषित करने, डिजिटल कॉमर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से उद्यमिता के अवसर बढ़ाने और गतिशीलता और डिजिटल पहुंच जैसी बाधाओं को दूर करना शामिल है।