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जागरण संपादकीय: देशभर में 5.8 करोड़ राशन कार्ड फर्जी पाए गए

इसकी आशंका है कि अभी कुछ और फर्जी राशन कार्ड हो सकते हैं। यह आशंका इसलिए है क्योंकि अभी सभी राशन कार्डों का आधार कार्ड से मिलान नहीं किया जा सका है। इसी तरह सभी राशन कार्डों का डिजिटलीकरण भी नहीं किया जा सका है। एक आंकड़े के अनुसार केवाईसी के जरिये कुल पीडीएस लाभार्थियों में से अभी 64 प्रतिशत का ही सत्यापन हो पाया है।

By Jagran News Edited By: Manish Negi Updated: Wed, 20 Nov 2024 09:18 PM (IST)
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देशभर में करोड़ों फर्जी राशन कार्ड रद
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से दी गई यह जानकारी चौंकाने वाली है कि सत्यापन की प्रक्रिया के तहत देशभर में 5.8 करोड़ राशन कार्ड फर्जी पाए गए हैं। राशन कार्डों के सत्यापन के लिए उनका आधार कार्ड से तो मिलान किया ही गया, केवाईसी यानी ग्राहक की पहचान करने की प्रक्रिया का भी पालन किया गया। यह ठीक है कि अपने देश में राशन कार्ड धारकों की संख्या बहुत अधिक है और इसे इससे समझा जा सकता है कि 80 करोड़ लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस के तहत मुफ्त राशन दिया जाता है, फिर भी 5.8 करोड़ राशन कार्डों का फर्जी पाया जाना गंभीर बात है।

इसका मतलब है कि कुछ लोग फर्जी राशन कार्ड बनाने का काम करते हैं। इसकी आशंका है कि अभी कुछ और फर्जी राशन कार्ड हो सकते हैं। यह आशंका इसलिए है, क्योंकि अभी सभी राशन कार्डों का आधार कार्ड से मिलान नहीं किया जा सका है। इसी तरह सभी राशन कार्डों का डिजिटलीकरण भी नहीं किया जा सका है। एक आंकड़े के अनुसार केवाईसी के जरिये कुल पीडीएस लाभार्थियों में से अभी 64 प्रतिशत का ही सत्यापन हो पाया है। एक ऐसे समय जब बड़ी संख्या में राशन कार्ड धारकों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है, तब यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि पात्र व्यक्ति ही इस सुविधा का लाभ उठा पाएं। इसी क्रम में यह भी देखा जाना चाहिए कि कहीं मुफ्त अनाज पाने के लिए ऐसे लोगों ने राशन कार्ड तो हासिल नहीं कर लिए हैं, जो इसके पात्र नहीं हैं। वास्तव में पीडीएस समेत अन्य सभी योजनाओं में सही लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित की जानी चाहिए, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि अन्य योजनाओं में भी अपात्र लोग उनका लाभ उठाने में सफल रहते हैं।

समस्या केवल यह नहीं है कि नकली राशन कार्ड आसानी से बन जाते हैं। समस्या यह भी है कि अब फर्जी आधार कार्ड भी बन जाते हैं। भले ही देर-सबेर फर्जी राशन और आधार कार्डों की पहचान हो जाती हो, लेकिन आखिर ऐसा होना ही क्यों चाहिए कि कोई फर्जी राशन कार्ड या आधार कार्ड हासिल कर ले? बांग्लादेशी और रोहिंग्या भी फर्जी आधार कार्ड बनवा लेते हैं। ध्यान रहे कि कोई एक बार नकली आधार कार्ड बनवा ले तो फिर उसके जरिये अन्य पहचान पत्र बनवाना आसान हो जाता है। इस सिलसिले को रोकना आवश्यक है। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जो भी सरकारी योजनाएं हैं, उनका क्रियान्वयन इस तरह किया जाए, जिससे उनका लाभ देश में कहीं पर भी रहने वाले लोग उठा सकें। एक देश-एक राशन कार्ड से ऐसा हो रहा है। जब पीडीएस योजना के तहत ऐसा हो सकता है तो अन्य योजनाओं के तहत भी होना चाहिए, क्योंकि अब नौकरी, व्यापार, शिक्षा के कारण बड़ी संख्या में लोग अपने गांव-शहर से दूर रहने लगे हैं।