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भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पहली बार की वैज्ञानिक गणना, देशभर में मिले 718 हिम तेंदुए; लद्दाख में सबसे अधिक Snow Leopard

डेटा रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख में 477 उत्तराखंड में 124 हिमाचल प्रदेश में 51 अरुणाचल प्रदेश में 36 सिक्किम में 21 और जम्मू-कश्मीर कुल 9 हिम तेंदुए हैं। WII ने यह सर्वे सभी हिम तेंदुआ रेंज वाले राज्यों और दो संरक्षण भागीदारों नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन मैसूर और WWF इंडिया के सहयोग से किया। इस सर्वे के बाद देश में 80 प्रतिशत हिम तेंदुआ रेंज की जानकारी हो सकी।

By Agency Edited By: Shalini Kumari Updated: Tue, 30 Jan 2024 05:56 PM (IST)
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देश में पहली बार हिम तेंदुओं की गणना (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एएनआई। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने देश में पहली बार हिम तेंदुओं की गणना है। देश में देश में कुल मिलाकर 718 हिम तेंदुए हैं और इनकी आबादी सर्वाधिक है। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में रिपोर्ट जारी कर दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत में हिम तेंदुआ जनसंख्या आकलन (SPAI) देश का पहला वैज्ञानिक सर्वे था।

कई फाउंडेशन ने मिलकर किया सर्वे

WII ने यह सर्वे सभी हिम तेंदुआ रेंज वाले राज्यों और दो संरक्षण भागीदारों नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, मैसूर और WWF इंडिया के सहयोग से किया। हिम तेंदुओं की आबादी की जानकारी करने के लिए यह सर्वे 2019 से 2023 तक दो चरणों में चलाया गया। इस सर्वे में कैमरों की मदद से हिम तेंदुओं की अनुमानित आबादी का पता लगाया गया। हाल के वर्षों तक व्यापक राष्ट्रीय मूल्यांकन की कमी के कारण भारत में हिम तेंदुए की रेंज अपरिभाषित थी।

डेटा रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख में 477, उत्तराखंड में 124, हिमाचल प्रदेश में 51, अरुणाचल प्रदेश में 36, सिक्किम में 21 और जम्मू-कश्मीर कुल 9 हिम तेंदुए हैं।

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तेंदुए की आबादी बढ़ाने में मिलेगी मदद

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस सर्वे के बाद देश में 80 प्रतिशत हिम तेंदुआ रेंज की जानकारी हो सकी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि रिपोर्ट में मंत्रालय के तहत WII में एक समर्पित हिम तेंदुआ सेल बनाने की भी जरूरत बताई गई है। इससे विलुप्त होते जा रहे हिम तेंदुओं की आबादी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हिम तेंदुआ रेंज में प्रत्येक चार वर्ष में आवधिक जनसंख्या आकलन पर विचार कर सकते हैं। इससे चुनौतियों को पहचानने और प्रभावी संरक्षण रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी।

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