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PM मोदी का एलान: अगले पांच वर्षों में देश में मेडिकल की 75 हजार नई सीटों का होगा सृजन, नहीं जाना पड़ेगा विदेश

पीएम मोदी ने देश की शिक्षा व्यवस्था को विकसित करने की इच्छा जताई। उन्होंने पांच वर्षों में मेडिकल की 75 हजार नई सीटों के सृजन का एलान किया। उन्होंने कहा कि 25 हजार बच्चे हर साल सिर्फ मेडिकल की पढ़ाई करने विदेश जाते हैं। इसे रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 10 वर्षों में हमने मेडिकल की सीटों को बढ़ाकर करीब एक लाख कर दिया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 15 Aug 2024 08:20 PM (IST)
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स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संबोधित करते पीएम नरेंद्र मोदी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मेडिकल सहित उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए देश के नौजवानों के विदेश में होने वाले पलायन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को चिंता जताई और इसे रोकने की जरूरत भी बताई। उन्होंने अगले पांच वर्षों में देश में मेडिकल की 75 हजार नई सीटें सृजित करने का भी एलान किया।

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देश में होगी विदेश जैसी शिक्षा की व्यवस्था

पीएम ने देश की शिक्षा व्यवस्था को कुछ इस तरह से विकसित करने की मंशा जताई, ताकि देश के युवाओं को पढ़ाई के लिए विदेश न जाना पड़े और उन्हें देश में ही विदेशी संस्थानों जैसी शिक्षा मिल सके। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए यह एलान किया।

हर साल बाहर जाते 25 हजार बच्चे

पीएम ने कहा कि अकेले मेडिकल की पढ़ाई के लिए देश के करीब 25 हजार बच्चे हर वर्ष विदेश जाते हैं। उन्हें ऐसे-ऐसे देशों में जाना पड़ रहा है, जिनका नाम सुनकर भी हैरान हो जाता हूं। इनमें ज्यादातर मध्यम वर्ग परिवार के बच्चे होते हैं, जिन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यही वजह थी कि पिछले दस वर्षों में हमने मेडिकल की सीटों को बढ़ाकर करीब एक लाख कर दिया है।

शिक्षा व्यवस्था को मजबूती दी जा रही

प्रधानमंत्री ने नौजवानों के पलायन पर अपनी चिंता को देश के सामने रखा और कहा कि मैं नहीं चाहता कि देश के नौजवानों को पढ़ाई के लिए विदेश जाने के लिए मजबूर होना पड़े। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद हम इस दिशा में तेजी से जुटे हैं। शिक्षा व्यवस्था को नए सिरे से मजबूती दी जा रही है।

नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा

प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण का भी जिक्र किया और कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में हमें फिर एक बार सदियों पुरानी नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा, उसे जीना होगा। विश्वास के साथ हमें विश्व की ज्ञान परंपराओं को नई चेतना देने का काम करना होगा। उन्होंने मातृभाषा में भी शिक्षा पर जोर दिया और राज्यों से कहा कि भाषा के कारण देश की प्रतिभाओं की राह में रुकावट नहीं आनी चाहिए।

कौशल विकास पर जोर दिया

मातृभाषा की ताकत देश की गरीब से गरीब मां के बेटे को भी सपना पूरा करने का ताकत देती है। उन्होंने कौशल विकास पर भी जोर दिया और कहा कि जिस तरह आज विश्व में बदलाव नजर आ रहा है, उनमें कौशल का महत्व बहुत बढ़ गया है। हम कौशल को नई ताकत देना चाहते हैं। हम इंडस्ट्री 4.0 को ध्यान में रखकर कौशल विकास करना चाहते हैं।

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