77th Independence Day 2023: भारत की समृद्ध विरासत ने दुनिया भर में छोड़ी है अपनी छाप, विदेशी भी हो रहे दीवाने
Independence Day 2023 जब हम भारत की संस्कृति और कला की बात करते हैं तब देश की समृद्ध विरासत की सम्पूर्ण झलक हमारी आंखों के सामने होती है। भारत ने खान-पान से रहन-सहन तक एक लंबा सफर तय किया है। यहां रहने वाले हर नागरिक को अपनी विशिष्ट परंपराओं पर गर्व है। तो आइए आज भारत की स्वर्ण गाथा को एक बार फिर याद करें...
By Babli KumariEdited By: Babli KumariUpdated: Wed, 09 Aug 2023 04:43 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। India's Rich Cultural Heritage: 'मेरे देश में मेहमानों को भगवान कहा जाता है...वो यहीं का हो जाता है जो कहीं से भी आता है...' वैसे तो यह महज गाने की चंद पंक्तियां हैं लेकिन, इन दो पक्तियों में भारत बसता है। भारत सिर्फ एक देश नहीं यह वो जगह है जहां से शून्य और सभ्यता का विकास हुआ है। हम अपने देश को सिर्फ एक मिट्टी का टुकड़ा नहीं अपनी मां मानते हैं। इस धरती पर अनेक महापुरुषों का जन्म हुआ, जिन्होंने धर्म और न्याय की परिभाषा भारत को दी। यहां राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम ने जन्म लिया जिन्होंने धर्म पूर्ण शासन कर न्याय को कायम रखा।
तो वहीं कृष्ण जैसे महाप्रतापी राजा भी हुए। इसी देश में महात्मा गांधी का भी जन्म हुआ जिन्होंने समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। इसका प्रभाव आज भी यहां के जन-जीवन में देखने को मिलता है। आज भी यहां के लोग धर्म तथा नीति से बंधे हुए हैं। भारतवासी आतिथ्य सत्कार करना अपना धर्म समझते हैं। हमारे देश में कहा भी जाता है 'अतिथि देवो भव:' इसका मतलब यह होता है कि अथिति देवता के समान होता है। वैसे तो ये भारत की प्राचीन अवधारणा है लेकिन आज के समय में उतनी ही प्रासंगिक है।
पूरा भारत जिस भौगोलिक सीमाओं में बंटा हुआ है यह उसके अपने विविध रंग है। भारत उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी, पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। उत्तर में हिमालय पर्वत भारत माता के सिर पर मुकुट के समान सुशोभित है। यहां नदी को भी देवी की संज्ञा दी गई है। गंगा नदी की देवी के रुप में पूजा जाता है। इन बीते 76 सालों में भारत बेहतर से बेहतरीन की तरफ आगे बढ़ा है।वहीं, भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आधार पर चलता है जिसमें वसुधा का अर्थ है- पृथ्वी और कुटुम्ब का अर्थ हैं- परिवार, कुनबा। इस प्रकार, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ हुआ- पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है और इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी मनुष्य और जीव-जन्तु एक ही परिवार का हिस्सा है। ये दो शब्द भारत के मूल आधार हैं। भारत इस दर्शन और विचार पर चलता आया है।
'भारत' विविधता में एकता (Unity in Diversity)
भारत, जिसे अक्सर संस्कृतियों का "Melting pot of Culture" कहा जाता है जिसका मतलब होता है किसी भी जाति, धर्म और संस्कृति के होने के बावजूद एकसाथ बिना किसी भेदभाव के रहना और भारत अपनी अद्वितीय विविधता के लिए जाना जाता है। हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर दक्षिण के रेतीले समुद्र तटों तक, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट भाषाएं, रीति-रिवाज, पोशाक और व्यंजन हैं। भारतीय संस्कृति विविधता में एकता का प्रतीक है, जिसमें हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म जैसे विभिन्न धर्म सामंजस्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में हैं। स्वतंत्रता दिवस इस सांस्कृतिक विविधता और एकजुट भावना की याद दिलाता है जो पूरे देश में गूंजती है।भारतीय कला ने दुनिया भर में बनाई जगह
गुफा चित्रों, स्मारकीय मूर्तियों और खजुराहो के मंदिरों और ताजमहल जैसे वास्तुशिल्प चमत्कारों के अविश्वसनीय उदाहरणों के साथ, भारत की कलात्मक विरासत का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है। पारंपरिक भारतीय कला रूप जैसे कि मधुबनी पेंटिंग, पिछवाई कला और कलमकारी वस्त्र अपने जटिल डिजाइन और जीवंत रंगों से दुनिया भर में कला प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करते रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भारत का फिल्म उद्योग, जिसे बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, यह अपने आप में सिनेमा प्रमियों को एक अद्वितीय और अविस्मरणीय सिनेमाई अनुभव बनाने के लिए नृत्य, संगीत और कहानी कहने के तत्वों को मिलाकर दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में फिल्में बनाता है।रंगोली के रंग से लेकर मेहंदी की लाली तक भारत की अनोखी परंपरा
भारतीय कला के विभिन्न रूप सदियों से फले-फूले हैं, जो देश की गहरी परंपराओं और समृद्ध इतिहास को दर्शाते हैं। त्योहारों के दौरान दरवाजे पर सजी रंगोली डिज़ाइन से लेकर महिलाओं के हाथों की शोभा बढ़ाने वाली मेहंदी के रंगीन डिजाइन तक, पारंपरिक कला रूप भारतीय कारीगरों की अपार रचनात्मकता और कौशल को प्रदर्शित करते हैं। इसके अतिरिक्त, भारतीय लोक कलाएं जैसे वर्ली पेंटिंग, गोंड कला और मधुबनी कला, अपनी सादगी और भव्यता से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। ये उत्कृष्ट कृतियां स्वतंत्रता दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बन गई हैं, जो भारतीय संस्कृति का सार प्रस्तुत करती हैं और अतीत के संघर्षों और उपलब्धियों को दर्शाती हैं।भारत के शास्त्रीय संगीत और नृत्य
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन भारतीय नृत्य शैली से ही दुनियाभर की नृत्य शैलियां विकसित हुई है। भारतीय संगीत और नृत्य सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि योग से भी जोड़ा गया। भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप देश के सांस्कृतिक ताने-बाने में एक प्रतिष्ठित स्थान रखते हैं। इन कला रूपों के भीतर जुड़े भक्ति और भावनात्मक तत्व आध्यात्मिक उत्कृष्टता की भावना पैदा करते हैं। भरतनाट्यम, कथक, कथकली, ओडिसी और मोहिनीअट्टम जैसे नृत्य रूप भारत के कला को विस्तृत रूप में चित्रित करती है।