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लेमरू हाथी रिजर्व के लिए मिले 94 करोड़, हाथियों को रोकने के लिए जंगल में लगेंगे वट और पीपल

लेमरू रिजर्व में हाथियों को गांव व खेतों की ओर आने से रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए वनों में वट पीपल और कटहल के पौधे लगाए जाएंगे। परियोजना के पहले चरण में चार वन मंडल के लिए कैंपा मद से 94 करोड़ रपये की मंजूरी मिली है।

By Vinay TiwariEdited By: Updated: Sun, 11 Oct 2020 06:50 PM (IST)
जंगल में विचरण करता जंगली हाथियों का समूह। (फाइल फोटो)
विकास पांडेय, (नईदुनिया) कोरबा। लेमरू रिजर्व में हाथियों को गांव व खेतों की ओर आने से रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए वनों में वट, पीपल और कटहल के पौधे लगाए जाएंगे। परियोजना के पहले चरण में चार वन मंडल कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ व सूरजपुर के लिए कैंपा (क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) मद से 94 करोड़ रपये की मंजूरी मिली है।

इसका 45 प्रतिशत हिस्सा हाथियों के रूट पर स्थित नदी-नालों में स्टाप डेम व एनीकट बनाने खर्च होंगा, ताकि गर्मी में गांव के जल स्रोतों में घुसपैठ न करें। दो दशक में प्रदेशभर में विचरण कर रहे हाथियों की संख्या सात से 350 तक पहुंच गई है। इनके उत्पात को रोकने के लिए प्रस्तावित लेमरू हाथी रिजर्व का काम अगले महीने शुरू होने की संभावना है।

सबसे पहले उनके आने-जाने का मार्ग चिन्हित कर पानी व चारे की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। गर्मी में सूख जाने वाले नालों में पर्याप्त पानी रहे, इसलिए स्टाप डेम व एनीकट तैयार किए जाएंगे। चारे के लिए पौधे व घास लगाने की तैयारी की जा रही है। हाथियों के चारे के लिए ऐसे पौधों का चयन किया जा रहा, जिससे वे पेट भर सकें और वनवासियों को वनोपज भी मिले। इनमें पीपल, वट, कटहल शामिल हैं।

जिन क्षेत्रों में जंगल मैदान बन गया है, वहां घास लगाई जाएगी, ताकि धान की ओर हाथी अधिक आकर्षित न हों। दायरा बढ़ेगा, बांगो कैचमेंट एरिया को करेंगे शामिल अभी पुराने प्रस्ताव के आधार पर ही चार वन मंडल में कार्य कराए जाएंगे, जिसमें 180 गांव हैं। इसका दायरा अभी 1,995 वर्ग किलोमीटर के करीब है। रिजर्व क्षेत्र का दायरा 3,500 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाया जाएगा और मांड नदी व बांगो बांध के कैचमेंट एरिया को शामिल किया जाएगा।

कैंपा छत्तीसगढ़ के सीईओ डॉ.वी श्रीनिवास का कहना है कि एलीफेंट रिजर्व का काम शीघ्र ही शुरू किया जाएगा। इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया चल रही है। हाथियों के साथ अन्य वन्य प्राणियों को भी इस संरक्षित क्षेत्र का लाभ मिलेगा।