A. G. Perarivalan: कौन है राजीव गांधी हत्याकांड का दोषी ए.जी. पेरारिवलन, 31 साल बाद होगा रिहा; जेल में रहते हुए ली मास्टर की डिग्री
A G Perarivalan राजीव गांधी हत्याकांड में सजा काट रहे ए.जी. पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई दे दी है। जेल में रहते हुए ए.जी. पेरारिवलन ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उसने मास्टर की डिग्री हासिल की।
By Mohd FaisalEdited By: Updated: Wed, 18 May 2022 01:15 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi Assassination) में दोषी ए.जी. पेरारिवलन (A G Perarivalan) की रिहाई का आदेश दे दिया है। राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से ज्यादा कारावास की सजा काट चुके ए.जी. पेरारिवलन को 11 जून 1991 को गिरफ्तार किया गया था। करीब 31 साल के बाद ए.जी. पेरारिवलन जेल से रिहा हो पाएंगे।
19 साल की उम्र में गिरफ्तार हुआ था पेरारिवलनपेरारिवलन का जन्म 30 जुलाई 1971 को तमिलनाडु के जोलारपेट में ज्ञानसेकरन उर्फ कुयिलदासन और अर्पुथम अम्मल के घर हुआ था। उनके माता-पिता पेरियार के अनुयायी थे, जो तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन के संस्थापक हैं। पेरारिवलन घटना के समय 19 साल का था। गिरफ्तारी के समय उसने इलेक्ट्रानिक्स और संचार इंजीनियरिंग में अपना डिप्लोमा पूरा किया था। उसने जेल में रहते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के माध्यम से कंप्यूटर में स्नातक और मास्टर डिग्री पूरी की थी। पेरारिवलन ने 2013 में तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित एक डिप्लोमा कोर्स परीक्षा में टाप करके स्वर्ण पदक जीता था।
पहले सुनाई गई थी फांसी की सजाबता दें कि ए.जी. पेरारिवलन 11 जून 1991 को पेरियार थिडल (चेन्नई) में केंद्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। उस पर राजीव गांधी के हत्या के साजिशकर्ता शिवरासन को विस्फोटक उपकरण के लिए 9 वोल्ट की बैटरी उपलब्ध कराने का आरोप लगा था। इस मामले में ए.जी. पेरारिवलन को फांसी की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, 18 फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
जे. जयललिता और पलानीसामी सरकार ने की थी रिहाई की सिफारिशहालांकि, 2016 और 2018 में जे. जयललिता और ए. के. पलानीसामी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी। लेकिन बाद के राज्यपालों ने इसका पालन नहीं किया और अंत में इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया। लंबे समय तक दया याचिका पर फैसला नहीं होने की वजह से दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
क्या है मामलाआपको बता दें कि राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव रैली के दौरान महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने हत्या कर दी थी। राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी।