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Nuclear Test: अमेरिका समेत दुनिया के कई देश रह गए हक्के-बक्के, जब पोखरण की जमीन पर भारत ने किया परमाणु परीक्षण

Todays history 11th May आज से 25 साल पहले 11 मई साल 1998 को राजस्थान के पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलोई गांव के पास भारत ने द्वितीय परमाणु परीक्षण किया था। इसके साथ ही भारत भी परमाणु हथियारों वाले देश की लिस्ट में शामिल हो गया था। (जागरण ग्राफिक्स)

By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaUpdated: Thu, 11 May 2023 10:50 AM (IST)
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India Announced to Conduct Three Nuclear Tests in Pokhran Rajasthan
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Today's history 11th May: भारत के इतिहास में 11 मई का दिन बेहद ही खास है, क्योंकि इसी दिन भारत ने परमाणु परीक्षण किए थे। इन टेस्ट के साथ ही भारत दुनिया के ताकतवर मुल्कों की लिस्ट में शामिल हो गया था। भारत के इस कदम से अमेरिका समेत कई देशों ने दांतों तले उंगली दबा ली थी। पोखरण में हुए तीन परमाणु परीक्षण के बाद से ही 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानि नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है।

11 मई को दिया ऑपरेशन शक्ति का अंजाम

पोखरण की भूमि पर 11 मई, 1998 को हुए परमाणु परीक्षण II के आज 25 साल पूरे हो गए हैं। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे और पूरी दुनिया को साबित कर दिया था कि भारत अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार है। पोखरण में 11 मई साल 1998 को किए गए परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था। अपने शीर्षक के तहत ही भारत ने पूरी दुनिया में अपनी ताकत का भी परिचय दे दिया था। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत ने सफलतापूर्वक अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था।

एक के बाद एक हुए तीन परीक्षणों से गूंज उठा इलाका

खेतोलाई से 5 किमी दूर फायरिंग रेंज में एक के बाद एक तीन हुए परीक्षण हुए, जिससे पूरा इलाका गूंज उठा और आसमान की तरफ बादल का गुबार दिखा। इसी के साथ पूरे पोखरण इलाके में यह पता चल गया कि इस धरती ने भारत को परमाणु ताकतों वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है। भारत के परमाणु शक्ति बनने की खुशी और गर्व का पल पोखरण के लोगों के जेहन में आज 25 साल बाद भी वैसा ही है। उसके बाद 13 मई को न्यूक्लियर टेस्ट किए गए।

अमेरिका की खुफिया एजेंसी को भारत ने दिया चकमा

परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के इस ऐलान से पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी, क्योंकि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। यहां तक कि परमाणु परीक्षण होने के बाद भी किसी को इसके बारे में पता नहीं चला था। भारत की इस सफलता पर अमेरिका के CIA ने भी माना कि भारत उन्हें चकमा देने में सफल रहा क्योंकि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) भारत की हरकतों पर पल-पल नजर बनाए रखता था। सीआईए ने भारत की कड़ी पहरेदारी करने के लिए अरबों खर्च कर 4 सैटेलाइट लगाए थे। इन सब चुनौतियों के बावजूद भी भारत ने पोखरण की जमीन पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन शक्ति को अंजाम दिया था।

परमाणु परीक्षण II क्यों रखा गया था गुप्त

परमाणु परीक्षण II को बेहद ही गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया था कि किसी को भी इसकी भनक तक नहीं लग पाई। परीक्षण को गुप्त रखने की पीछे वजह यही थी कि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बने। दरअसल, साल 1995 में भी भारत ने परमाणु परीक्षण करने की योजना बनाई थी लेकिन अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई उसकी बराबरी कर सके। साल 1995 में हो रहे परमाणु परीक्षण को अमेरिकी सैटेलाइट और खुफिया एजेंसी ने पूरी तरह से पानी फेर दिया था। भारत ने उस से सबक लिया, इसलिए दूसरे परीक्षण को एकदम गुप्त रखा गया था।

वैज्ञानिकों ने पहने थे फौज के कपड़े

इस परीक्षण के लिए देश के वैज्ञानिकों ने भी फौज के कपड़े तक पहने ताकि उन्हें सेटेलाइट से भी पहचाना नहीं जा सके। सभी वैज्ञानिकों को कोड नेम दिया गया। अब्दुल कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज का नाम दिया गया था। भारत ने 11 मई को दोपहर बाद 3.45 मिनट पर तीन टेस्ट किए। ये 1998 के परमाणु परीक्षण का ही परिणाम है कि आज भारत आईटीईआर (ITER) में भागीदार है और न्यूक्लियर प्रौद्योगिकी के मामले में हम दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं।

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पोखरण में ही क्यों हुआ था परमाणु परीक्षण

भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानता है। यही वजह है कि पोखरण को ही परमाणु परीक्षण करने के लिए चुना गया था। परमाणु परीक्षण के लिए पोखरण को इसलिए चुना गया था क्योंकि यहां पर आबादी बहुत दूरी पर थी। पोखरण जैसलमेर से 110 किलोमीटर दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर स्थित एक कस्बा है। रेगिस्तान के बालू में बड़े बड़े कुए खोदे गए और वहां परमाणु बम रखे गए थे। इन कुओं के ऊपर बालू के पहाड़ बना दिए गए थे।

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