एबीजी शिपयार्ड मामला: सीबीआइ मुख्यालय पहुंचे पूर्व सीएमडी ऋषि अग्रवाल, देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले का है आरोप
ABG Shipyard case ऋषि जांच में शामिल होने के लिए भारी दस्तावेजों के साथ आते देखे गए। बता दें कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर 22842 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले का आरोप है। पिछले हफ्ते भी सीबीआइ ने इस मामले में ऋषि अग्रवाल से पूछताछ की थी।
By Mahen KhannaEdited By: Updated: Mon, 21 Feb 2022 12:38 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले (ABG Shipyard case) से जुड़ी कंपनी एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) ऋषि अग्रवाल सोमवार को सीबीआइ मुख्यालय पहुंचे। ऋषि जांच में शामिल होने के लिए भारी दस्तावेजों के साथ आते देखे गए। बता दें कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर 22,842 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले का आरोप है। पिछले हफ्ते भी सीबीआई ने इस मामले में ऋषि अग्रवाल से पूछताछ की थी।
2 जी स्पेक्ट्रम का केस संभालने वाले एडवोकेट की टीम भी गई साथऋषि अग्रवाल के साथ एडवोकेट विजय अग्रवाल की कानूनी टीम भी सीबीआइ मुख्यालय पहुंची है। गौरतलब है कि एडवोकेट विजय अग्रवाल 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले, आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन मामले, यस बैंक के राणा कपूर मामले आदि को संभालने के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। बता दें कि हाल ही में सीबीआई ने एक बयान में कहा कि आरोपी भारत में ही स्थित है।
28 बैंकों के 22,842 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोपकेंद्रीय एजेंसी के अनुसार, एबीजी शिपयार्ड ने भारतीय स्टेट बैंक सहित 28 बैंकों के 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। मौजूदा मामले में, बड़ी राशि के संवितरण के साथ कंसोर्टियम में 28 बैंक शामिल हैं। सीबीआई ने कहा कि सीसी ऋण, सावधि ऋण, साख पत्र, बैंक गारंटी आदि सहित विभिन्न प्रकार के बैंक ऋण थे जो बैंकों द्वारा अग्रिम के रूप में दिए गए थे। मामले में एसबीआई ने भी 2019 में मुख्य आरोपी के खिलाफ एलओसी खोली थी।
इन बैंकों को लगी चपतसीबीआइ के अनुसार कंपनी मेसर्स एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, ऋषि कमलेश अग्रवाल, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक और गारंटर, संथानम मुथास्वामी आदि के खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक ने मुंबई से 25 अगस्त 2020 को एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (वर्तमान में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (वर्तमान में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) आदि सहित बैंकों को इसमें 22,842 करोड़ की चपत लगी है।