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देश लौटे अभय मुद्रा वाले बुद्ध और नरसिंही

आस्ट्रेलिया ने भारतीय संस्कृति से जुड़े व प्राचीन काल के तीन अहम मूर्तियों को भारत सरकार को सौंप दिया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:48 PM (IST)
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देश लौटे अभय मुद्रा वाले बुद्ध और नरसिंही

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आजादी के पहले अंग्रेजों ने देश के विभिन्न हिस्सों से भारतीय इतिहास व संस्कृति से जुड़ी मूर्तियों को बाहर भेजा तो आजादी के बाद भारतीय गिरोहों ने चोरी छिपे इन्हें विदेशी संग्रहालयों को बेचा। लेकिन अब केंद्र सरकार की कोशिशों की वजह से इनके वापस लौटने का सिलसिला शुरु हो गया है। इस सिलसिले में आस्ट्रेलिया ने भारतीय संस्कृति से जुड़े व प्राचीन काल के तीन अहम मूर्तियों को भारत सरकार को सौंप दिया है। इन तीन मूर्तियों के स्वदेश लौटाने की सफलता से खुश विदेश मंत्रालय ने अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के विभिन्न संग्रहालयों में भारतीय संस्कृति के अमूल्य धरोहरों को लौटाने का काम और तेज करने का फैसला किया है।

विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में स्थित नेशनल गैलरी ऑफ आस्ट्रेलिया के साथ तकरीबन डेढ़ वर्षो तक विचार विमर्श और सत्यापन के बाद तीन बहुमूल्य प्राचीन मूर्तियों को वापस लाया गया है। इनमें एक 1900 वर्ष पुरानी बुद्ध की वह दुर्लभ मूर्ति भी है जिसमें वह पद्मासन करते हुए अभय मुद्रा में है। दूसरी मूर्ति चेन्नई के पास वृद्धाचलम मंदिर से चुराई गई नरिसिंही की है जिसे दक्षिण भारत भगवान नरसिंह का स्त्री अवतार माना जाता है। यह भी देश में अपनी तरह की इकलौती प्राचीन मूर्ति है और इसके 700 वर्ष पुराने होने का अनुमान है। आस्ट्रेलिया से लौटी तीसरी मूर्ति 1700 वर्ष पुरानी है जिसमें बुद्ध की पूजा करते हुए दो दंपत्तियों को दिखाया गया है। इन सभी मूर्तियों को फिलहाल कुछ दिनों तक राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाएगा।

सनद रहे कि भारतीय संस्कृति से जुड़े सैकड़ों प्राचीन मूर्तियां इस समय दुनिया की तमाम संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी स्वयं इन्हें स्वदेश लाने की बात कर चुके हैं। सरकार की तरफ से यह बताया गया है कि ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में लगा कोहिनूर हीरे को भी वापस लाने पर बातचीत की जाएगी। पिछले वर्ष अमेरिकी प्रशासन ने तकरीबन 200 पुरानी मूर्तियों को भारत को लौटाया था। नालंदा के एक पुरातत्वविद ने अपने अध्ययन के आधार पर कहा है कि यूरोप 45 संग्रहालयों में 500 से ज्यादा भारत की प्राचीन मूर्तियों का प्रदर्शन किया गया है।

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