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भारत में 2040 तक बढ़ेगी कामकाजी उम्र की आबादी, चीन और जापान में घटेगी; एडीबी की रिपोर्ट में खुलासा

ADB Report एशियाई विकास बैंक ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत की कामकाजी उम्र की आबादी में 2040 तक इजाफा होगा। 2031 से इसके बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इस बीच एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और जापान की कामकाजी उम्र की आबादी में कमी आएगी। अनुमान के मुताबिक भारत 2050 तक पर्याप्त कार्यबल बनाए रखेगा।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 03 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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एशियाई विकास बैंक ने कामकाजी उम्र से जुड़े आंकड़े किए जारी।
एएनआई, नई दिल्ली। भारत में कामकाजी उम्र की आबादी 2040 तक बढ़ने और 2050 तक पर्याप्त कार्यबल बनाए रखने का अनुमान है, जबकि चीन और जापान जैसे देशों में कामकाजी आयु वर्ग की आबादी में गिरावट आ रही है। एशियाई विकास बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेटिस्टा डेटा इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2011 में भारत की कामकाजी आयु वर्ग की आबादी इसकी कुल आबादी का 60 प्रतिशत से अधिक थी और 2031 तक इसके बढ़ने की उम्मीद है।

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2036 तक 64.9% होगी कामकाजी उम्र की आबादी

रिपोर्ट के अनुसार, 2036 तक यह प्रतिशत 2031 में 65.1 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर 64.9 प्रतिशत हो जाएगा। यह जनसांख्यिकीय प्रवृत्ति कार्यबल असंतुलन को दूर करने और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए श्रम गतिशीलता और क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को आगे रखेगी।

कई देशों ने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाया

एडीबी के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र सक्रिय क्षेत्रीय प्रवास नीतियों और मानव पूंजी निवेश के माध्यम से अपने जनसांख्यिकीय घाटे को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं। पिछले 50 वर्षों में क्षेत्र के कई देशों ने अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाकर, परिवहन, ऊर्जा और दूरसंचार जैसे बुनियादी ढांचे के निवेश पर ध्यान केंद्रित करके समृद्धि हासिल की है।हालांकि, जैसे-जैसे जनसांख्यिकीय लाभांश घाटे में बदल रहे हैं, रणनीति में बदलाव आवश्यक है।

मानव पूंजी निवेश पर देना होगा बल

देशों को अब आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए मानव पूंजी में निवेश करने और पूरे क्षेत्र में अधिक श्रम गतिशीलता को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों से पता चलता है कि एशिया ने अपने चरम जनसांख्यिकीय लाभांश को पार कर लिया है।

कई देशों घट रही कामकाजी लोगों की संख्या

कई देशों में कामकाजी उम्र के व्यक्तियों की कुल संख्या में उल्लेखनीय कमी आने वाली है, जिससे अनुकूल नीतियों की आवश्यकता पर और अधिक बल मिलेगा। एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों को ऐसी नीतियों को लागू करके अनुकूलन करना चाहिए जो उनके शेष कार्यबल का अधिकतम लाभ उठा सकें।

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