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ISRO: सूर्य के अध्ययन के लिए अगले महीने भेजा जा सकता है Aditya L1, Gaganyaan Mission की तैयारी हुई तेज

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अब कई और महत्वपूर्ण मिशन के लिए भी तैयार है। इसरो के अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि खगोलीय एक्स-रे स्त्रोतों की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए देश के पहले एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट की लांचिंग की भी पूरी तैयारी है। सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का अध्ययन करने के लिए उपग्रह कैसे बनाया जाए इस पर भी चर्चा चल रही है।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 22 Aug 2023 11:11 PM (IST)
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नासा के साथ 'निसार' मिशन पर भी चल रहा काम।
बेंगलुरु, पीटीआई। चंद्रयान-3 मिशन के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब कई और महत्वपूर्ण मिशन के लिए भी तैयार है। इनमें सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 मिशन, जलवायु अवलोकन उपग्रह इनसेट-3डीएस, अंतरिक्ष में मानव को भेजने का मिशन गगनयान शामिल है। सूर्य का अध्ययन करने वाले भारत के पहले यान आदित्य-एल-1 को जल्द लांच किया जाएगा।

सितंबर के पहले सप्ताह में हो सकता है प्रक्षेपण

यूआर राव उपग्रह केंद्र में निर्मित सेटेलाइट लांचिंग के लिए आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंच गया है। लांचिंग की तारीख अभी नहीं बताई गई है, लेकिन इसरो के अधिकारी ने कहा कि प्रक्षेपण सितंबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है।

इसरो के अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि खगोलीय एक्स-रे स्त्रोतों की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए देश के पहले एक्स-रे पोलारिमीटर सेटेलाइट की लांचिंग की भी पूरी तैयारी है। इससे तारों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का अध्ययन करने के लिए उपग्रह कैसे बनाया जाए इस पर भी चर्चा चल रही है। इसरो अध्यक्ष सोमनाथ के अनुसार अंतरिक्ष एजेंसी ने जलवायु अवलोकन उपग्रह इनसेट-3डीएस के प्रक्षेपण की भी योजना बनाई है। देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की भी तैयारी चल रही है।

गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों के दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में ले जाया जाएगा। इसके बाद उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाकर भारत मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करेगा।

गगनयान मानव अंतरिक्ष (मानवयुक्त) उड़ान मिशन शुरू करने से पहले इसरो ने दो मानवरहित मिशन की योजना बनाई है। सोमनाथ ने 15 अगस्त को इसरो मुख्यालय में अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में कहा था कि भारत-अमेरिका निर्मित सिंथेटिक एपर्चर रडार 'निसार' को भी प्रक्षेपित किया जाएगा।

उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में हम बड़ी संख्या में उपग्रह बनाने जा रहे हैं। नासा-इसरो एसएआर (निसार) निगरानी उपग्रह है जिसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।

लुपेक्स मिशन को 2025 में भेजने की योजना

अगला चंद्र मिशन जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के साथ अगले चंद्र मिशन पर इसरो और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी' (जाक्सा) मिलकर काम कर रहे हैं। जाक्सा और इसरो ने अगले चंद्र मिशन 'लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन' (लुपेक्स) के लिए साझेदारी की है। जक्सा और इसरो क्रमश: रोवर और लैंडर का विकास कर रहे हैं।

रोवर अपने साथ न केवल इसरो और जाक्सा के उपकरणों को चांद तक ले जाएगा बल्कि अमेरिकी एजेंसी नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के उपकरण भी उसके साथ होंगे। लुपेक्स मिशन को 2025 में भेजने की योजना है।