Aditya L1 Mission: सूर्य के अध्ययन में अहम छलांग है आदित्य एल 1, देश के इस मिशन पर वैज्ञानिकों की क्या है राय?
सूर्य की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल1 अंतरिक्ष में एक और महत्वपूर्ण छलांग है। इसरो सात पेलोड के साथ अपने पहले सौर मिशन को शनिवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। सूर्य मिशन को आदित्य एल-1 नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा।
भारत ने अपने पहले सौर मिशन को किया प्रक्षेपित
मिशन को क्यों दिया गया है आदित्य एल-1 नाम?
दिव्येंदु नंदी ने आगे कहा कि अंतरिक्ष के मौसम में सूर्य की गतिविधियों में कोई भी परिवर्तन पृथ्वी पर प्रभाव डालने से पहले एल1 पर दिखाई देता है जो पूर्वानुमान के लिए एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी होगी।लैग्रेंज बिंदु एल1 के पास रखा गया कोई भी सेटेलाइट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के साथ सामंजस्य स्थापित करेगा, जिससे चंद्रमा या पृथ्वी द्वारा कोई बाधा उत्पन्न किए बिना इसके द्वारा सूर्य का निर्बाध अवलोकन किया जा सकेगा।
आदित्य-एल1 का उद्देश्य कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) सहित सूर्य की गतिविधि के विभिन्न पहलुओं को उजागर करना है। यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष पर्यावरण की भी निगरानी करेगा और अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान माडल को और सटीक बनाने में अहम साबित होगा।
वैज्ञानिक लक्ष्य को हासिल करना है मिशन का उद्देश्य
वहीं, इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे के पूर्व निदेशक और अशोक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमक रायचौधरी ने कहा कि आदित्य-एल1 मिशन मुख्य रूप से वैज्ञानिक लक्ष्य लिए हुए हैं लेकिन इसका प्रभाव उद्योग और समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं तक पड़ेगा। अंतरिक्ष मौसम दूरसंचार और नौवहन नेटवर्क, हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार, ध्रुवीय मार्गों पर हवाई यातायात, विद्युत ऊर्जा ग्रिड और पृथ्वी के उच्च अक्षांशों पर तेल पाइपलाइनों को प्रभावित करता है।मिशन का उद्देश्य सूर्य के असाधारण रहस्यों को उजागर करना है, जिसका तापमान लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इसकी सतह अपेक्षाकृत ठंडी 5500 डिग्री सेल्सियस रहती है। इनमें से निकलने वाले उच्च-ऊर्जा कण, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शंस कहा जाता है, पृथ्वी से टकराते हैं। वे हमारे ग्रह की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं, जिन पर हम संचार, इंटरनेट और जीपीएस सेवाओं के लिए निर्भर हैं। हमें यह अनुमान लगाने के साधन की आवश्यकता है कि ये सीएमई कब और कितनी तीव्रता से घटित होंगे। आदित्य-एल1 हमें अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए ज्ञान प्रदान करेगा।