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Aditya L1 News: आदित्य मिशन में प्रयागराज के इन तीन वैज्ञानिकों पर बड़ी जिम्मेदारी,Chandrayaan-3 से है कनेक्शन

Aditya L1 News चंद्रयान-तीन मिशन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले इन विज्ञानियों पर अब आदित्य मिशन की सफलता काफी हद तक निर्भर है। पिछले तीन दिनों से यह सभी विज्ञानी इसरो मुख्यालय में ही जमे हैं और लांचिंग को लेकर अपनी भूमिका में काम कर रहे हैं। ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत सूर्य के अतीत वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए आदित्य एल1 आज रवाना होगा।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Sat, 02 Sep 2023 06:30 AM (IST)
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आदित्य मिशन में प्रयागराज के इन तीन वैज्ञानिकों पर बड़ी जिम्मेदारी
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सूर्य का अध्ययन करने के लिए आज लांच होने जा रहे आदित्य एल-1 मिशन में प्रयागराज निवासी इसरो के तीन विज्ञानियों ने बड़ी भूमिका निभाई। यान की नियंत्रण प्रणाली तैयार करने से लेकर अलग-अलग अध्ययनों के लिए पेलोड तैयार करने वाले इन विज्ञानियों ने प्रयागराज का मान बढ़ाया है। चंद्रयान-तीन मिशन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले इन विज्ञानियों पर अब आदित्य मिशन की सफलता काफी हद तक निर्भर है। पिछले तीन दिनों से यह सभी विज्ञानी इसरो मुख्यालय में ही जमे हैं और लांचिंग को लेकर अपनी भूमिका में काम कर रहे हैं।

उन्नत इलेक्ट्रो-मैकेनिकल पेलोड सिस्टम डिजाइन किया

इसरो त्रिवेन्द्रम के चार विभिन्न विभागों का नेतृत्व कर रहे हैं व विभिन्न उपग्रहों के उप परियोजना निदेशक (डीपीडी) निशंक श्रीवास्तव आदित्य मिशन की बड़ी भूमिका में हैं।उन्होंने ओशनसैट-3 श्रृंखला के उपग्रहों और आदित्य एल-1 मिशन के लिए विभिन्न उन्नत इलेक्ट्रो-मैकेनिकल पेलोड सिस्टम भी डिजाइन और विकसित किया है। साथ ही कार्टोसैट-2 ओशनसैट-2 मंगल मिशन और आइआरएनएसएस श्रृंखला उपग्रहों में उपयोग की जाने वाली जड़त्वीय संदर्भ इकाइयों (आइआरयू) के लिए एफपीजीए आधारित इलेक्ट्रानिक्स भी विकसित किया है। उन्होंने बताया कि मिशन में लगे पेलोड सूर्य की एक्टिविटी से पृथ्वी के वातावरण पर प्रभाव और इससे पूर्वानुमान का मदद करेंगे।साथ ही कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से सौर हवाओं, आयनाइज्ड पार्टिकल और प्लाज्मा का भी अध्ययन होगा।

अंतरिक्ष यान के नियंत्रण की जिम्मेदारी निभाएंगी गायत्री

गायत्री मलहोत्रा भी आदित्य एल-1 मिशन में प्रमुख भूमिका में हैं। चंद्रयान मिशन में सपोर्ट कंट्रोल सिस्टम टीम में शामिल गायत्री आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान के लिए बने कंट्रोल सिस्टम ग्रुप की प्रोजेक्ट मैनेजर हैं।वह प्रक्षेपण के बाद धरती से डेढ़ मिलियन दूरी पर स्थिति प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने के दौरान अंतरिक्ष यात्र को नियंत्रित करेंगी। उन्होंने बताया कि यह अंतरिक्ष यान सूर्य की विभिन्न परतों का निरीक्षण करेगा। इससे सूर्य की गतिविधियों को आसानी से समझा जा सकेगा। अंतरिक्ष यान में आनबोर्ड कंप्यूटर यान को नियंत्रित करेगा। गायत्री मलहोत्रा की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। 1996 में हुए इवि के दीक्षांत समारोह में गायत्री मलहोत्र को छह स्वर्ण पदक प्राप्त हुये।

सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों का अध्ययन के लिए पेलोड बनाया

आदित्य मिशन में प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी रवि केसरवानी भी शामिल हैं। उनका काम सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों का अध्ययन करना होगा। इससे सूर्य में चल रही गतिविधियों का पता लगाया जाएगा। सोलर अल्ट्रावायलेट इमेंजिंग टेलीस्कोप (शूट) पेलोड पर काम करने वाले रवि केसरवानी बताते हैं कि सूर्य की ओजोन परत की वजह से अल्ट्रावायलेट किरणों धरती पर नहीं आ पाती हैं। यह अल्ट्रावायलेट किरणें बहुत अधिक सूचना लिए हुए होती है। इससे अध्ययन से सूर्य के कोर में होने वाली गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। यह भी पता लगाया जा सकेगा कि कोर और सतह पर हुई गतिविधियों से उर्जा और विकिरण पर्यावरण में किस तरह से ट्रांसफर होता है।