Exclusive: कड़ी मेहनत के बाद तैयार हुआ आदित्य L1, ISRO अहमदाबाद के डायरेक्टर ने साझा की दिलचस्प जानकारी
भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 के लॉन्चिंग में अब बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। आदित्य एल1 को 2 सितंबर की सुबह 1150 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए इसरो की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आदित्य L1 को बनाने में कितना समय लगा? अंतरिक्ष में सूर्य की स्टडी क्यों की जायेगी?
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 10:39 AM (IST)
किशन प्रजापति, अहमदाबाद। भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 के लॉन्चिंग में अब बस कुछ ही घंटे बाकी हैं। आदित्य एल1 को 2 सितंबर की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए इसरो की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। आदित्य L1 को बनाने में कितना समय लगा? अंतरिक्ष में सूर्य की स्टडी क्यों की जायेगी? और गुजरात में आदित्य एल1 के कौन-कौन से पार्ट्स बने है? इस बारे में गुजराती जागरण की टीम ने अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लिकेशन सेन्टर, इसरो के डायरेक्टर, नीलेश एम. देसाई से खास बातचीत की। आइए जानते हैं इसरो डायरेक्टर ने क्या कहा?
"सेटेलाइट को सूर्य के L1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे"
एसएसी-इसरो अहमदाबाद के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने कहा, “आदित्य एल1 भारत का पहला ओबसेरवटोरी-क्लास का स्पेस बेज सौर मिशन है। इससे पहले हम भास्कर नाम का सैटेलाइट लॉन्च कर चुके हैं, इसलिए इस बार हमने आदित्य नाम चुना है। यह सूर्य के 12 नामों में से एक है। 2 सितंबर को आदित्य एल1 के लॉन्चिंग के बाद इसे सूर्य के एल1 पॉइन्ट तक पहुंचने में लगभग चार महीने का समय लगेगा, यानी 147 दिन लगेंगे। आदित्य एल1 में 590 किलोग्राम प्रोपल्शन फ्यूल और 890 किलोग्राम के अन्य सिस्टम हैं, जिसका कुल वजन 1480 किलोग्राम है। इस सूर्य मिशन में डेटा और टेलीमेट्री जैसे कमांड के लिए यूरोपीय, अमेरिकी, स्पेनिश और ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसियों का सहयोग लिया गया है।
"SAC-ISRO, अहमदाबाद में आदित्य L1 का मुख्य पेलोड VELC बना है।"
नीलेश एम. देसाई ने आगे कहा, “आदित्य एल1 को बेंगलुरु स्थित इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा डिजाइन किया गया है। यहां SAC-ISRO अहमदाबाद में सेटेलाइट आदित्य एल1 के मुख्य पेलोड VELC (विजिबल एमिशन लाइन क्रोनोग्रफ़) का 70 प्रतिशत काम हुआ है और बेंगलुरु में 30 प्रतिशत काम हुआ है। इसके अलावा सैटेलाइट के स्ट्रक्चर का सारा काम इसरो द्वारा किया गया है और इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स को आउटसोर्स किया गया है। इस तरह से आदित्य एल1 में 70 डेडिकेटेड वैज्ञानिकों सहित कुल 1000 लोगों का योगदान है।”"आदित्य एल1 सन साइकल की स्टडी करेगा"
नीलेश एम. देसाई ने आगे बताया, “सैटेलाइट आदित्य एल1 हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद पांच साल तक चलता रहेगा। इसके द्वारा सन साइकल की स्टडी की जायेगी। इस सन साइकल की साइकल 11 साल की होती है। अब यह सन साइकल 2025 से 2028 के बीच होगी और अधिक सक्रिय होगा। हमारा सेटेलाइट आदित्य एल1 तब वहां चालू होगा। तो हम सन साइकल का सही तरीके से स्टडी कर पाएंगे। इसके अलावा सूर्य के अंदर की दृश्यमान सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस है। जबकि सूर्य के मध्य भाग, जिसे 'कोर' कहा जाता है, उसका तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, इसकी भी स्टडी की जायेगी।"20 सेकंड में डेटा और फोटो होंगे धरती पर"
इसके अलावा नीलेश एम. देसाई ने आगे कहा, "आदित्य एल1 को हेलो ऑर्बिट में स्थापित करने के बाद कोरोनल हीटिंग और सौर पवन त्वरण, कोरोनल मास इजेक्शन (CME), फ्लेयर्स और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम की शुरुआत, सौर वातावरण के युग्मन और गतिशीलता और वितरण और तापमान सौर वायु अनिसोट्रॉपी को समझने के लिए डेटा एकत्र करेगी। इसके अलावा, आदित्य L1 में SUIT (सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) है और सैटेलाइट को खोखली कक्षा में स्थापित करने के बाद VELC का शटर खोला जाएगा और इसकी तस्वीर इवेंट कैमरे द्वारा क्लिक की जाएगी। इस तरह 20 सेकंड में डेटा और फोटो धरती पर प्राप्त हो जाएंगे।"