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African Swin Fever: अफ्रीकन स्वाइन फीवर से जा रही सुअरों की जान, विशेषज्ञ ने बताया- कैसे फैलती है यह बीमारी

बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से ग्रसित सुअरों को मारने का अभियान भी चलाया जा रहा है। हरियाणा के रोहतक में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई सुअरों की मौत के बाद अन्य स्थानों पर भी तेजी से बीमारी फैल रही है।

By Piyush KumarEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 09:15 PM (IST)
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देश के कई राज्यों में फैल चुका है अफ्रीकन स्वाइन फीवर।(फाइल फोटो)
जागरण टीम, नई दिल्ली : देश के कई राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के चलते लगातार सुअरों की मौत हो रही है। ऐसे में कई राज्यों के प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया है। क्योंकि इस बीमारी की वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से ग्रसित सुअरों को मारने का अभियान भी चलाया जा रहा है। हरियाणा के रोहतक में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई सुअरों की मौत के बाद अन्य स्थानों पर भी तेजी से बीमारी फैल रही है।

जिले में अब तक 550 से अधिक सुअरों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद पशु पालन विभाग की ओर से अभी तक इसका सही आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है। सोमवार को भी जिले में 50 से अधिक सुअर मृत मिले। अफ्रीकन स्वाइन फीवर को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार ने रोहतक जिले को नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया है। जिले से बाहर सुअरों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसी तरह पंजाब में भी कुछ मामले सामने आने के बाद प्रदेश को नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया है।

बिहार चला रहा सुअरों को मारने का अभियान 

पश्चिम चंपारण में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से दो दर्जन सुअरों की मौत के बाद संक्रमण फैलने से रोकने के लिए पशुपालन विभाग अभियान चला रहा है। जिले में तीन जगहों पर सोमवार को नौ सुअरों को दवा देकर मार दिया गया। रविवार को अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने पर चार सुअरों को मारा गया था। पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान पटना के चिकित्सक व विज्ञानियों की चार सदस्यीय टीम दो दिन से जिले में है।

बिहार में मारने पर दिया जा रहा मुआवजा 

पशुपालकों को निर्धारित मुआवजा दिया जा रहा है। एक से 15 किलो तक वजन के सुअर को मारने पर 2200 रुपये, 15 से 40 किलो पर 5800 रुपये, 40 से 100 किलो पर 8400 रुपये और 100 किलो से अधिक वजन के सुअर को मारने पर 12000 रुपये मुआवजा दिया जा रहा है।

सतर्कता से थम रहा लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद में प्रकोप 

अफ्रीकन स्वाइन फीवर का प्रकोप उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों में फैला है। हालांकि ही सतर्कता बरतने के बाद स्थिति काबू में है। लखनऊ में पिछले महीने 100 से अधिक सुअरों की मौत हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने सैनिटाइजेशन व एंटी बायोटिक दवाएं देकर स्थिति को काबू किया। इसी तरह सम्भल में 15 दिन के अंदर ही एक हजार के करीब सुअरों की मौत हो गई। मगर अब मौतों का सिलसिला थम गया है। पिछले महीने बरेली और पीलीभीत में भी कुछ सुअरों की मृत्यु हुई थी।

उत्तराखंड में भी तीन जिले हैं प्रभावित

प्रदेश के हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी जिला अफ्रीकन स्वाइन फीवर से प्रभावित है। इन जिलों में अब तक 1003 सुअरों में यह बीमारी पाई है। इनमे से 785 की मौत हो चुकी है, जबकि 53 को मार दिया गया। उत्तराखंड में पहली बार यह बीमारी सामने आई है। पशुपालन निदेशक प्रेम कुमार के अनुसार, इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस बीमारी से ग्रसित सुअरों को मारना ही विकल्प है।

जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान के पशु रोग शोध एवं निदान केंद्र के संयुक्त निदेशक डा. केपी सिंह ने बताया कि अगस्त 2019 में भारत में पहली बार नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश में वायरस फैला था। यह बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती, लेकिन मनुष्य के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान के सुअरों तक पहुंच जाती है। - कोविड वायरस की तरह इस पर भी लिपिड लेयर होती है।

जैसे कोविड में साबुन, सैनिटाइजर आदि से लेयर हट जाती और वायरस मर जाता है। इसी तरह अफ्रीकन स्वाइन फीवर की लिपिड लेयर चूने के पानी से धुल जाती है। सुअर के बाड़े में आते जाते समय चूने के पानी से जूते साफ कर लें, हाथ साबुन से धो लें तो वायरस मनुष्य के माध्यम से नहीं फैलेगा।