Assam के चार जिलों में बढ़ाया गया AFSPA, इन क्षेत्रों से हटाया गया
अफस्पा कानून को सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 में नाम से जाना जाता है। इस कानून के जरिए सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं। इसके तहत कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद सशस्त्र बल उस व्यक्ति पर बल प्रयोग कर सकता है। व्यक्ति पर गोली चलाने की भी अनुमति होती है।
By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Mon, 02 Oct 2023 05:52 AM (IST)
एजेंसी , गुवाहाटी : असम पुलिस ने रविवार को कहा कि राज्य के चार जिलों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। गुवाहाटी में असम पुलिस दिवस पर आयोजित समारोह में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि चार जिलों से ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा हटा लिया गया है, जिसके कारण अफस्पा लगाया जाता है।
उन्होंने कहा, असम के अब केवल चार जिलों में अफस्पा लागू होगा। ये जिले डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव हैं। जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से एक अक्टूबर से अफस्पा हटा लिया गया है। असम सरकार ने इससे पहले इन आठ जिलों में एक अप्रैल से छह और महीनों के लिए अफस्पा को बढ़ाया था।
पहाड़ी क्षेत्रों में 6 माह के लिए बढ़ा
हाल ही में मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में छह माह के लिए अफस्पा बढ़ाया गया है। डीजीपी सिंह ने कहा कि पिछले 30-40 वर्षों के दौरान अस्थिर दौर से गुजरने के बाद असम शांतिपूर्ण स्थिति में पहुंच गया है। असम पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बलों की कड़ी मेहनत के कारण हमारे पास यह शांतिपूर्ण माहौल है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब सिर्फ डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव में लागू होगा अफस्पा जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से अफस्पा हटा लिया गया हैक्या है अफस्पा कानून
अफस्पा कानून को सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 1958 में नाम से जाना जाता है। इस कानून के जरिए सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं। इसके तहत कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को चेतावनी देने के बाद सशस्त्र बल उस व्यक्ति पर बल प्रयोग कर सकता है। उस व्यक्ति पर गोली चलाने की भी अनुमति होती है। सैन्य बलों को अगर किसी व्यक्ति पर संदेह होता है तो वह उस व्यक्ति को बिना गिरफ्तारी वारंट केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार कर सकता है।
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