भारत में Coronavirus का थर्ड फेज शुरू होने में अभी है 30 दिन, हालात पर पाया जा सकता है काबू
सभी बीमारियों की तरह कोरोना वायरस के भी चार फेज हैं। फिलहाल ये दूसरे फेज में है और तीसरा फेज शुरू होना अभी बाकी है। ऐसे में भारत के पास इस पर काबू पाने का समय बचा है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 16 Mar 2020 06:51 AM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। किसी भी महामारी के चार चरण होते हैं। कोविड-19 भी इससे अलग नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव के अनुसार भारत में कोविड का प्रकोप अभी दूसरे चरण में है। इस चरण के तहत संक्रमण उन्हीं व्यक्तियों तक सीमित रहता है तो इस महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित देशों की यात्रा से लौटे हों या आए हों। सामुदायिक रूप से इसके संक्रमण फैलने में या इस प्रकोप के तीसरे चरण में फैलने में अभी तीस दिन शेष हैं। भारत के पास अभी बहुत कुछ करने का समय है।
दूसरे-तीसरे चरण में रोकने के उपाय क्वारंटाइन: प्रभावित देशों से आने वाले व्यक्ति को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन प्रक्रिया में रखा जाए।
संपर्कों की पड़ताल: अगर कोई व्यक्ति पॉजिटिव पाया जाता है तो उससे पहले वह जिनसे भी मिला हो, उनको सभी को निगरानी में रखा जाए। अगर उनमें भी लक्षण मिलते हैं तो जांच करके उन्हें भी क्वारंटाइन किया जाए।
बड़ी जुटान पर रोक: कई राज्यों में स्कूल, सिनेमा हाल या सामूहिक जुटान संबंधी आयोजनों पर रोक लगा दी गई है।जागरूकता: आम लोगों को हाथ की साफ-सफाई और सांस लेने की विशेष तहजीब-तकनीक और सतर्कता के प्रति जागरूक किया जाए।
तैयारी: स्वास्थ्य से संबंधित बुनियादी संसाधनों के आकलन के साथ परीक्षण केंद्र, आइसोलेशन बेड और पॉजिटिव मामलों का बेहतर प्रबंधन पर काम हो।खुद के बनें डॉक्टर चिरकालिक लोकप्रिय फिल्म शोले तो आपने देखी ही होगी। उसका एक डॉयलाग याद रखिए जो कोरोना वायरस से लड़ने में आपकी मदद करेगा। संवाद है, गब्बर के ताप से तुम्हें एक ही आदमी बचा सकता है, एक ही आदमी...खुद गब्बर। और कोरोना के ताप से आपको सिर्फ एक ही आदमी बचा सकता है, वह हैं आप खुद। आप अपने प्रतिरक्षा तंत्र को इतना मजबूत बना दीजिए कि कोरोना वायरस आपके शरीर में पैबस्त ही न हो सके। इस प्रतिरक्षा तंत्र को हासिल करने के लिए बहुत मशक्कत भी नहीं करनी है। संतुलित खुराक लीजिए उसी से आपका स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली काम करती रहेगी। वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ ऐसी बहुत सी चीजें हमारे दैनिक जीवन में ही सुलभ हैं, जिनसे हम अपने प्रतिरक्षी तंत्र को कोरोना का कवच बना सकते हैं।
बाजार की चीजों से बचें प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए बाजार में तमाम उत्पाद मौजूद हैं। कई बार इसका सेवन उलटा भी पड़ जाता है। लिहाजा प्रतिरक्षा मजबूत करने वाले ऐसे उत्पादों को खरीदने से परहेज करें और इन पर रकम बर्बाद न करें। ऐसे उत्पादों कभी कभी शरीर के लिए घातक भी साबित होते हैं। कई बार इनका इस्तेमाल प्रतिरक्षा प्रणाली को आत्मघाती बना देता है। आर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्युन बीमारियां घर कर लेती हैं।
विटामिन सी कोरोना वायरस के अन्य स्ट्रेन से होने वाले सामान्य सर्दी-जुकाम के मामलों में किए गए अध्ययन बताते हैं कि विटामिन सी ऐसे संक्रमण की अवधि को छोटा कर सकता है। 2017 में कोचरान कोलेबोरेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि हर रोजाना हम 1000 मिग्रा विटामिन सी की खुराक लेते हैं तो सर्दी-जुकाम से संक्रमण की अवधि यह आठ फीसद कम कर देती है। इस मात्रा के लिए किसी को 14 संतरे खाने होंगे। लिहाजा सप्लीमेंट दवाएं ज्यादा मुफीद साबित होंगी।
विटामिन डी वैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि अगर रोजाना कोई 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की खुराक ले तो श्वसन तंत्र से जुड़े संक्रमण में सुधार लाया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के सेंटर फॉर इनफ्लैमेशन रिसर्च के प्रो रिचर्ड मीलानबी का इस आशय का शोध पिछले साल फ्रंटियर्स इन इम्युनोलॉजी में प्रकाशित हुआ। हालांकि लोग मानते हैं कि उनकी त्वचा सूर्य की किरणों से पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी संग्रह कर लेती है, लेकिन ढलती उम्र के साथ यह प्रक्रिया कमजोर होती जाती है। सर्दी के दिनों में तो लोग खुद को इतना ढके रहते हैं और सूर्य की रोशनी भी बहुत कम होती है।
व्यायाम करें: रोजाना नियमित व्यायाम करें। इससे आपका प्रतिरक्षी तंत्र अच्छी तरीके से काम करता रहेगा। टी कोशिकाएं कही जाने वाली श्वेत रक्त कणिकाएं हमारे शरीर पर हमला करने वाले विषाणुओं के खात्मे में सक्षम होती हैं। ये कणिकाएं हमारे सीने में मौजूद थायमस ग्रंथि में तैयार होती हैं। तीस साल के पहले ही यह ग्रंथि सिकुड़ने लगती है, लेकिन व्यायाम से यह ग्रंथि पुष्पित-पल्लवित रहती है। 2017 में जर्नल फ्रंटियर्स ऑफ हार्मोन रिसर्च अध्ययन में ये बात सामने आई।
खुद को शांत रखें मानसिक और शारीरिक तनाव दोनों खून में हार्मोन कार्टीसोल का स्तर बढ़ाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के इम्यून सेल बॉयोलॉजी के प्रोफेसर जेनेट लॉर्ड का अध्ययन बताता है कि रक्त में उच्च कॉर्टीसोल की मात्रा प्रतिरक्षी तंत्र को कमजोर करता है और थायमस ग्रंथि को भी सिकुड़ने पर विवश करता है।
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