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Manipur Horror: मणिपुर में हिंसा थमने के बाद लोगों का सिस्टम पर भरोसा कायम करने में जुटी सरकार

मणिपुर में हिंसक घटनाओं के थमने के बाद केंद्र लोगों का सिस्टम पर फिर से कायम करने की कोशिश में जुट गई है। हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा सुनिश्चित किया जा रहा है। यही कारण है कि पूर्वोत्तर भारत में 2005-13 की तुलना में 2014-23 के बीच हिंसक घटनाओं में आम नागरिकों की मौत 82 फीसद कम हो गई है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 28 Jul 2023 09:28 PM (IST)
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मैतेई और कुकी संगठनों से हो रही वार्ता (फोटो: एएनआई)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसक घटनाओं के थमने के बाद केंद्र सरकार लोगों का सिस्टम पर फिर से कायम करने की कोशिश में जुट गई है। हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा सुनिश्चित किया जा रहा है। दो महिलाओं के वायरल वीडियो की सीबीआई जांच और राज्य के बाहर अदालती सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील इसी कड़ी का हिस्सा है।

पूर्वोत्तर राज्यों का क्या है हाल?

विपक्ष भले ही मोदी सरकार को मणिपुर हिंसा को लेकर घेरने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले नौ सालों में पूर्वोत्तर के राज्यों में हिंसा में न सिर्फ भारी कमी आई है, बल्कि अलगाववादी गुट शांति समझौता कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

यही कारण है कि पूर्वोत्तर भारत में 2005-13 की तुलना में 2014-23 के बीच हिंसक घटनाओं में आम नागरिकों की मौत 82 फीसद कम हो गई है। मणिपुर भी इससे अलग नहीं है। साल में औसतन 50 दिनों तक रोड ब्लॉक से जूझने वाले मणिपुर में यह पुरानी बात हो गई है।

इसी तरह से इरोम शर्मिला के 16 सालों का सबसे लंबी भूख हड़ताल भी मणिपुर के लोगों के अफस्पा से निजात नहीं दिला पाया था। आज मणिपुर में सात जिलों के 19 थाना क्षेत्रों से अफस्फा हटाया जा चुका है। यही नहीं विकास और शांति के रास्ते पर जा रहा मणिपुर एक साल पहले ही छोटे राज्यों में सबसे उन्नत की श्रेणी में पहुंच गया था।

मैतेई और कुकी संगठनों से हो रही वार्ता

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, हिंसा थमने के बाद एक ओर हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा रही है, वहीं दूसरी ओर मैतेई और कुकी संगठनों से अलग-अलग बातचीत चल रही है। 2008 में सशस्त्र संघर्ष विराम समझौता करने वाले कुकी गुटों के साथ आईबी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक अक्षय मिश्र की कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

कोकोमी से भी हो रही बात

इसके साथ ही आईबी के अन्य अधिकारी मैतेई के संगठन कोआर्डिनेटिंग कमेटी फार मणिपुर इंटीग्रिटी (कोकोमी) से बात कर रहे हैं। इसके अलावा इन संगठनों की मुलाकात राजनीतिक स्तर पर शीर्ष लोगों से भी हो रही है। सरकार की पूरी कोशिश हालात को सामान्य बनाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

कुकी, नागा और जोमी अलगाववादी संगठनों से पिछले आठ-महीने में कई दौर की बातचीत हो चुकी है और अप्रैल के अंत तक वे मणिपुर के पुराने नस्लीय हिंसा की समस्या के स्थायी समाधान फार्मूले के करीब भी पहुंच चुके थे।

फार्मूले के तहत, क्षेत्रीय परिषद बनाये जाने और उसके क्रियाकलापों तक पर चर्चा हो चुकी थी। कुकी गुटों ने जनजातीय बहुल 10 जिलों को मिलाकर दो क्षेत्रीय परिषद बनाने का प्रस्ताव दिया था।

क्या था जोमी गुटों का प्रस्ताव?

वहीं, एन बीरेन सिंह की सरकार ने 10 जिलों में अलग-अलग 10 क्षेत्रीय परिषद बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन जोमी अलगाववादी गुटों की ओर से 2-2-1 के फार्मूले पर पांच क्षेत्रीय परिषद बनाने का प्रस्ताव आया था। जिनमें दो-दो कुकी और जोमी के लिए एक नगा के लिए होता। केंद्र सरकार भी जोमी गुटों के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।