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Financial Literacy Campaign: अब वित्तीय साक्षरता के लिए शुरू होगा बड़ा अभियान, जानें क्‍या है इसका मकसद

आरबीआइ के निर्देश से पूरे देश में लोगों को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाएगा जिसके तहत ना सिर्फ उन्हें वित्तीय फ्राड से बचने के तरीके बताए जाएंगे बल्कि किस तरह से बचत करें और ज्यादा रिटर्न कमाएं इसकी भी जानकारी दी जाएगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 03 Jun 2022 01:30 AM (IST)
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वर्ष 2024 आम चुनाव तक देश में वित्तीय समावेश का दूसरा दौर चरम पर होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरबीआइ के निर्देश पर ना केवल पूरे देश के लोगो को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाएगा बल्कि किस तरह से बचत करें और ज्यादा रिटर्न कमाएं इसकी भी जानकारी दी जाएगी। केंद्रीय बैंक ने हाल ही में इसकी भी जानकारी दी है कि उसने वित्तीय साक्षरता की बेहद महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। इसके तहत वर्ष 2024 तक समाज के बेहद निचले तबके और दूर-दराज में रहने वाले परिवारों को भी वित्तीय लेनदेन, निवेश और फ्राड से बचने के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।

45.55 करोड़ खाते खोले गए

यह देश में जीडीपी के मुकाबले बचत की औसत को बढ़ाने में एक अहम कदम साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद से ही हर भारतीय का अपना बैंक खाता खोलने के लिए पीएम जनधन योजना (पीएमजेडीवाइ) की शुरुआत की थी। इसके तहत अभी तक 45.55 करोड़ खाते खोले गए हैं।

सीधे लाभार्थियों तक पहुंच रही मदद

आर्थिक खुशहाली लाने के उद्देश्य से उठाया गया यह कदम सरकार के लिए राजनीतिक रूप से भी फायदेमंद हुआ है क्योंकि अब इस योजना के तहत ही सरकार की कई स्कीमों की राशि सीधे ग्राहकों तक पहुंच रही है। ऐसे में केंद्र सरकार चाहती है कि वित्तीय समावेश की इस योजना का और ज्यादा विस्तार हो और देश की गरीब जनता को उनके बचत पर ज्यादा रिटर्न सुनिश्चित हो और वो किसी भी तरह के वित्तीय फ्राड से अपनी रक्षा कर सकें।

दर्जनभर से ज्यादा बैंकों और एनबीएफसी की ली जाएगी मदद

आरबीआइ की तरफ से बताया गया है कि देश के 80 ब्लाकों में उसने प्रायोगिक तौर पर वित्तीय समावेश के दूसरे चरण के तहत वित्तीय साक्षरता का अभियान चलाया था जिसका काफी फायदा हुआ। यह अभियान आठ बैंकों और छह एनजीओ के जरिये चलाया गया है। अब इसे पूरे देश में चलाया जाएगा और वर्ष 2024 तक हर ब्लाक को यह अभियान अपने कवरेज में ले लेगा। इसमें दर्जन भर से ज्यादा बैंक, एनजीओ और गैर बैं¨कग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की मदद ली जाएगी।

लोगों को निवेश के लिए किया जाएगा प्रोत्साहित

माना जाता है कि अभियान का एक मकसद घरेलू बचत के स्तर को सुधारना भी है। ताजे आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में जीडीपी की तुलना में भारत की घरेलू बचत दर 31.7 प्रतिशत थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 27.8 प्रतिशत आ गई है। एक आकलन यह भी है कि हर घर में बैंक खाता खुलने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग अभी भी नकदी घरों में रखते हैं। वित्तीय समावेश और साक्षरता का यह नया अभियान इन्हें वित्तीय सेक्टर में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा।