Aditya L-1 Mission: चांद के बाद अब सूरज नापने की तैयारी, ISRO दो सितंबर को आदित्य-एल1 सौर मिशन करेगा लॉन्च
Aditya L-1 Mission इसरो (ISRO) ने अपनी जानकारी में कहा कि फिलहाल आदित्य एल-1 श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट पर मौजूद है। सब कुछ सही रहा तो सितंबर के पहले हफ्ते में सैटेलाइट की लॉन्चिंग हो सकती है। इस मिशन के बाद सूर्य के पास सैटेलाइट भेजने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका जर्मनी व यूरोपीय स्पेस एजेंसी सूर्य पर सैटेलाइट भेज चुके हैं।
By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Sat, 26 Aug 2023 01:55 PM (IST)
बेंगलुरु, एजेंसी। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो का हौलसा बुलंद है। इसरो अब सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक सप्ताह के भीतर, संभवत: 2 सितंबर को एक सौर मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है।आदित्य-एल1 (Aditya L-1 Mission) अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा के सीटू अवलोकन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।
यह बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा लॉन्च किया जाने वाला सूर्य की निगरानी के लिए पहला समर्पित भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा।आदित्य-एल1 का मिशन (Aditya L-1 Mission) जिसका उद्देश्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है, विभिन्न तरंग बैंडों में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों, कोरोना का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड ले जाएगा।
यह पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास- इसरो अधिकारी
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, 'आदित्य-एल1 राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है।'बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड के विकास के लिए अग्रणी संस्थान है। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।
आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके फ्लेयर्स पर अवलोकन प्रदान कर सकता है। कण डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और L1 के चारों ओर हेलो कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।