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दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन के नियम ना लागू होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज, जारी किए ये निर्देश

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राजधानी दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन नियम को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 को लागू करने में एजेंसियां पूरी तरीके से फेल हो गई हैं। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणी की। इस मामले में अगली सुनावाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है।

By Jagran News Edited By: Jagran News NetworkUpdated: Sun, 17 Nov 2024 03:53 PM (IST)
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राजधानी में ठोस कचरा प्रबंधन में फेल हुईं एजेंसियां: SC (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Supreme Court News: सर्वोच्च न्यायालय ने राजधानी दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन नियम के सही तरीके से लागू ना करने को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 को लागू करने में एजेंसियां पूरी तरीके से फेल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर सभी हितधारकों की बैठक बुलाने और इसपर विशेष चर्चा के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण मामला है। कोर्ट ने कहा कि 2016 के नियमों को राजधानी शहर में उनके सही अर्थों में लागू किया जाए। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने विगत 11 नवंबर को पारित हुए अपने आदेश में कहा, "यदि हम पाते हैं कि अन्य सभी प्राधिकरण एक साथ नहीं आते हैं और हमें 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के लिए समय-सीमा नहीं बताते हैं, तो न्यायालय को कठोर आदेश पारित करने पर विचार करना पड़ सकता है।"

शीर्ष अदालत ने दिए ये निर्देश

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि हम दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को 2016 के नियमों के कार्यान्वयन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए दिल्ली नगर निगम सहित सभी हितधारकों की बैठक बुलाने का निर्देश देते हैं। पीठ ने आगे कहा कि सभी हित धारकों को एक साथ आगे आना चाहिए और 2016 के नियमों के प्रावधानों के अनुपालन की रिपोर्ट करने के लिए समय-सीमा निर्धारित करते हुए अदालत में एक आम रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने बैठक आयोजित कर प्रतिक्रिया साझा करने की समय सीमा 13 दिसंबर की तय की है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने देखा कि 2016 के नियम केवल कागजों पर ही रह गए हैं। अगर केवल राजधानी दिल्ली के क्षेत्र में इस नियम को लागू करने में विफलता हाथ लगी है तो देश के अन्य शहरों में क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस मामले पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

नहीं हो रहा नियमों का क्रियान्वयन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां एक ओर 2016 के नियमों का क्रियान्वयन नहीं हो रहा था, जिस वजह से कचरा या ठोस अपशिष्ट अवैध रूप से लैंडफिल साइटों पर संग्रहीत किया जा रहा था और वहां पर आग लगने की संभवानाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ठीक इसके दूसरे ओर व्यापक स्तर से निर्माण कार्य हो रहा है। जिस वजह से ठोस और निर्माण अपशिष्टों का उत्पादन बढ़ रहा था। पीठ का कहना है कि दिल्ली सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय शहर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले ठोस अपशिष्ट के आंकड़े प्रस्तुत करने चाहिए।

दिल्ली के पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अधिकृत किया कि यदि 2016 के नियमों का क्रियान्वयन में केंद्र सरकार के किसी विभाग की भागीदारी की आवश्यकता हो तो वे बैठक के लिए केंद्र के संबंधित अधिकारियों को बुलाया जा सकता है। पीठ का कहना है कि यदि पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव को लगता है कि कोई भी हित धारक सहयोग नहीं कर रहा है, तो हम उन्हें निर्देश प्राप्त करने के लिए इस न्यायालय में आवेदन करने की अनुमति देते हैं। इस मामले में पीठ अगली सुनवाई 16 दिसंबर को करेगी।

समझिए पूरा मामला

गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में ठोस कचरे के प्रबंधन का मुद्दा उठा है। विगत 18 अक्तूबर को एमसीडी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि 2026 तक वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 11,000 टन ठोस कचरे के प्रसंस्करण की अपनी क्षमता को पार कर जाएगा। इसी साल 26 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में ठोस कचरा प्रबंधन के नियमों के खराब क्रियान्वयन पर कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर की थी।

कोर्ट ने कहा था कि राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन 3,000 टन से अधिक ठोस कचरा अनुपचारित रह जाता है. इस वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पर पड़ रहा है। इस दिन की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने एमसीडी को फटकार लगाई थी और कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिदिन 11,000 टन से अधिक ठोस कचरा पैदा होता है. लेकिन प्रसंस्करण संयंत्रों की प्रतिदिन की क्षमता केवल 8,073 टन है।