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ऑनलाइन गेम से बच्चों में बढ़ रहा है आक्रामक व्यवहार', NCP नेता ने सरकार से की इन खेलों को नियंत्रित करने की अपील

ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन के बढ़ते खतरे का मुद्दा राकांपा की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने सदन में उठाया। सदन में फौजिया खान ने बताया कि ऑनलाइन गेम के कारण कारण बच्चों का व्यवहार आक्रामक होता जा रहा है। वहीं NCP नेता ने सरकार से इन खेलों को नियंत्रित करने की अपील की है। उन्होंने सदन में पुणे की एक घटना का भी जिक्र किया है।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Tue, 06 Aug 2024 02:57 PM (IST)
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बच्चों के ऑनलाइन वीडियो गेम की आदत से बढ़ रही है परेशानी (प्रतिकात्मक फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। राकांपा की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने मंगलवार को बच्चों के ऑनलाइन वीडियो गेम की हिंसक सामग्री के संपर्क में आने पर चिंता व्यक्त की और सरकार से इस सामग्री को नियंत्रित करने को कहा है।

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में बच्चे तेजी से ऑनलाइन वीडियो गेम के संपर्क में आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से कई खेलों में छोटे बच्चों के लिए अनुपयुक्त विषय-वस्तुएं होती हैं, जैसे- अनियंत्रित हिंसा, अभद्र भाषा, मादक द्रव्यों का सेवन, यौन विषय-वस्तु, लैंगिक रूढ़िवादिता और कानून की अवहेलना।

'बच्चों में बढ़ रहा है आक्रामक व्यवहार'

खान ने कहा, 'पबजी, कॉल ऑफ ड्यूटी, जीटीए और ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे ऑनलाइन गेम बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गए हैं। इससे बड़े होने पर उनमें आक्रामक व्यवहार विकसित होता है। अत्यधिक संपर्क से चिंता और भय भी पैदा हो सकता है।'

'मानसिक स्वास्थ्य पर डालती है नकारात्मक प्रभाव'

राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने पुणे की एक घटना का भी जिक्र किया, जहां एक 15 वर्षीय लड़के ने वीडियो गेम से प्रभावित होकर 14वीं मंजिल की इमारत से कूदकर दुखद आत्महत्या कर ली थी। खान ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, तथा शोध से पता चलता है कि हिंसक मीडिया के संपर्क में आने से संज्ञानात्मक विकास बाधित हो सकता है, भावनाओं पर नियंत्रण कम हो सकता है तथा मस्तिष्क के अग्र भाग के विकास में देरी हो सकती है। यह लत शैक्षणिक प्रदर्शन, सामाजिक कौशल और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

'देश में इन खेलों को नियंत्रित करने के लिए कानून का अभाव'

खान ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेमिंग के कारण अप्रत्याशित रूप से अनुचित यौन, हिंसक या संवेदनशील सामग्री, साइबर बदमाशी और साइबर अपराध की घटनाएं हो सकती हैं। राज्यसभा सांसद ने बताया कि भारत में वीडियो गेम को विनियमित करने के लिए वर्तमान में विशिष्ट कानून का अभाव है तथा इस विषय पर न्यायिक ध्यान भी सीमित है।

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