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खेती में उन्नति का नया प्लॉट तैयार कर रहे एग्री स्टार्टअप, केंद्र सरकार देती है 25 लाख तक आर्थिक और तकनीकी सहायता

खेती का मतलब सिर्फ गेहूं-चावल उगाना भर नहीं रह गया है। धीरे-धीरे यह उद्योग का रूप भी लेने लगा है। पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान देश में एग्री स्टार्टअप की बढ़ती संख्या बता रही है कि किसान अब परंपरागत खेती में नवाचार अपना रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एग्री स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक और तकनीकी सहायता दी जा रही है।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Sat, 17 Feb 2024 09:06 PM (IST)
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खेती बाड़ी का सेक्टर अब धीरे-धीरे उद्योग जैसा रूप लेने लगा है। (फाइल फोटो)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। खेती का मतलब सिर्फ गेहूं-चावल उगाना भर नहीं रह गया है। धीरे-धीरे यह उद्योग का रूप भी लेने लगा है। पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान देश में एग्री स्टार्टअप की बढ़ती संख्या बता रही है कि किसान अब परंपरागत खेती में नवाचार अपना रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत एग्री स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक और तकनीकी सहायता दी जा रही है। अबतक 1554 कृषि-स्टार्टअप को किश्तों में 111.57 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।

एग्री स्टार्टअप पूरी तरह नया प्लाट है, जिसपर समृद्धि की फसलें उगाई जा सकती हैं। आसान शब्दों में इसका अर्थ स्मार्ट फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के तरीके से लगाया जा सकता है। देश की आबादी बढ़ रही है। किंतु जमीन का आकार स्थिर है। ऐसे में सिर्फ पैदावार बढ़ाकर ही खाद्य सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है।

मगर दूसरा पक्ष यह भी है कि कम जमीन में अत्यधिक उपज लेने के प्रयास में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से खेत बांझ होने लगे हैं। इसी निराशा के बीच नई उम्मीद लेकर एग्री स्टार्टअप सामने आ रहे हैं, जो पैदावार बढ़ाने से लेकर उपज के उपभोग तक में कई सफल प्रयोग कर रहे हैं। इससे किसानों को उनकी उपज की अधिक कीमत भी मिल रही है।

जानकारी और पूंजी के अभाव के बावजूद जो किसान कृषि से संबद्ध उद्यम शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर मददगार साबित हो सकते हैं। जानकारी लेकर अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। जिन किसानों को एग्री स्टार्टअप का कोई ज्ञान नहीं है, लेकिन फिर भी वह खेती में कुछ करने का हौसला रखते हैं तो उनके लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ''नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास'' कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रशिक्षण एवं परामर्श की भी व्यवस्था है, जिसके लिए देश भर में पांच नालेज भागीदार और अलग-अलग राज्यों में 24 एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर बनाए गए हैं। एग्री-प्रेन्योरशिप ओरिएंटेशन प्रोग्राम के तहत किसानों एवं युवाओं को दो महीने तक लगातार 10 हजार रुपये देने की भी व्यवस्था है।

सरकार दे रही है आर्थिक मदद

प्रारंभ में अभ्यर्थियों को आइडिया एवं प्री-सीड स्टेज पर पांच लाख रुपये और एक कदम के बाद पूंजी के रूप में 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उद्यमियों एवं स्टार्टअप को इनक्यूबेटर के जरिए उत्पादों, सेवाओं एवं व्यापार मंचों को बाजार तक पहुंचाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके साथ ही स्टार्टअप को विभिन्न हितधारकों के साथ जोड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कान्क्लेव, कृषि मेला एवं कार्यशाला का आयोजन किया जाता है।

पात्रों को ऋण सुविधा भी

वर्ष 2020-21 से ''कृषि अवसंरचना निधि'' के तहत पात्र लोगों को ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी सहायता के जरिए कटाई के बाद फसलों के प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए मध्यम या दीर्घकालिक ऋण सुविधा भी दी जाती है। इसका लाभ रैयत किसान, कृषि उद्यमी एवं स्टार्टअप आदि ले सकते हैं। अभी तक 1284 स्टार्टअप को कुल 1248 करोड़ की ऋण सहायता मिल चुकी है।

नवाचार के नजरिए से चुने जाते हैं अभ्यर्थी

लाभार्थियों का चयन कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किया जाता है। वित्तीय मदद देने से पहले लाभार्थी को प्रशिक्षण के आधार पर बौद्धिक एवं नवाचार के नजरिए से आंका जाता है। चयनित युवाओं एवं किसानों को किश्तों में धन-राशि दी जाती है। ¨कतु इसके पहले कौशल विकास के लिए उन्हें इनक्यूबेशन सेंटर में प्रशिक्षण लेना जरूरी होता है।