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प्रदूषण का दोष किसानों के सिर मढ़ना गाली समान, केंद्र की मदद का उपयोग नहीं कर रहे राज्य : कृषि मंत्री

कृषि मंत्री तोमर शुक्रवार को पराली प्रबंधन पर आयोजिक कार्यशाला में बोल रहे थे। पराली पर राजनीति करने वाले दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे दलों का ध्यान प्रदूषण की समस्या से निजात पाना या दिलाना नहीं बल्कि अपना राजनीतिक हित साधना है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Fri, 04 Nov 2022 08:37 PM (IST)
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पराली प्रबंधन में केंद्र सरकार के पैसे को खर्च नहीं कर पाए हैं राज्य

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वायु प्रदूषण की गंभीर हालत के लिए किसानों पर दोष मढ़ने को लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बिफरते हुए कहा कि यह राज्यों की विफलता है। पराली प्रबंधन के लिए केंद्र की ओर से दी गई आर्थिक, तकनीकी और अन्य मदद का शिद्दत से उपयोग किया जाए तो समस्या का समाधान संभव है। लेकिन अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करने की जगह किसानों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। यह तो गाली समान है।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में कृषि मंत्री ने कहा

तोमर शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में पराली प्रबंधन पर आयोजिक कार्यशाला में बोल रहे थे। पराली पर राजनीति करने वाले दलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे दलों का ध्यान प्रदूषण की समस्या से निजात पाना या दिलाना नहीं, बल्कि अपना राजनीतिक हित साधना है। तोमर ने हैरानी जताते हुए कहा कि जिनसे पराली का कोई लेना देना नहीं है, वही इसके प्रबंधन पर ज्यादा चर्चा कर रहे हैं।

समस्या का समाधान ऐसी चर्चा से नहीं होगा बल्कि किसान, विज्ञानी और सरकारों के बीच परस्पर गंभीर विचार-विमर्श से होगा। ऐसे उपाय की जरूरत है, जो मिट्टी की उर्वरा क्षमता को भी बढ़ाए और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में कृषि विज्ञानियों की भूमिका का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए डिकंपोजर एक नायाब ईजाद है। कई राज्यों के ज्यादातर किसानों ने इसका लाभ उठाया है।

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के विशेष ध्यानार्थ

केंद्र सरकार के स्तर पर धान उत्पादक किसानों के लिए संबंधित राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली को 3000 करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी जा चुकी है। पराली प्रबंधन में काम आने वाली 2.07 लाख मशीनें खरीदी जा चुकी हैं। कृषि मंत्री तोमर ने स्पष्ट कहा कि इसके बावजूद पराली जलाई जा रही है तो यह गंभीर चिंता का विषय है। इन संसाधनों का उपयोग राज्य कर सकें तो समस्या पैदा ही न हो। इसकी जगह किसानों को गाली देना बंद होना चाहिए। संकल्प में ही वर्तमान समस्या का समाधान निहित है।

पराली प्रबंधन में केंद्र सरकार के पैसे को खर्च नहीं कर पाए हैं राज्य

पिछले तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश के 20 लाख एकड़, पंजाब के पांच लाख एकड़, हरियाणा के 3.5 लाख एकड़ और दिल्ली के 10 हजार एकड़ धान के खेतों में पराली को गलाने के लिए पूसा डिकंपोजर का उपयोग किया गया। इसका नतीजा काफी उत्साहजनक रहा। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए पंजाब को सर्वाधिक 1450 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि हरियाणा को 900 करोड़, उत्तर प्रदेश को 713 करोड़ और दिल्ली को छह करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

आश्चर्य जताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें तकरीबन एक हजार करोड़ रुपए राज्यों के पास बचे हुए हैं, जिसका उपयोग नहीं हो सका है। तोमर यहां धान उत्पादक राज्यों के 60 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों के मार्फत वहां के किसानों से वर्चुअली भी जुडे हुए थे। उन्होंने कुछ किसानों से पराली प्रबंधन को लेकर बातचीत भी की।

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