Parliament Special Session: 18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र, ओवैसी ने सरकार के सामने रख दी ये तीन मांगें
केंद्र सरकार ने सभी को चौंकाते हुए 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संसद के विशेष सत्र के दौरान तीन मांगें रखी हैं। ओवैसी ने कहा कि सत्र के दौरान चीन के साथ सीमा मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए और जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 09:34 AM (IST)
हैदराबाद, एजेंसी। केंद्र सरकार ने सभी को चौंकाते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार (31 अगस्त) को एक्स पर बताया कि संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। इस सत्र में कुल 5 बैठकें होंगी। संसद के विशेष सत्र को लेकर अब तरह-तरह बातें हो रही हैं।
इस सबके बीच ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने संसद के विशेष सत्र के दौरान तीन मांगें रखी हैं। ओवैसी ने कहा कि सत्र के दौरान चीन के साथ सीमा मुद्दे पर चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए और जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए।
चीन को लेकर बोले औवैसी
हैदराबाद से लोकसभा सांसद ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "हम शुरू से ही एक विशेष सत्र की मांग कर रहे थे क्योंकि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किमी जनीम पर अतिक्रमण कर लिया है। चीन डेपसांग और डेमचोक को नहीं छोड़ रहा है... जब सरकार विशेष सत्र बुलाएगी, तो हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री चीन पर चर्चा की अनुमति देंगे। दूसरा, रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इसलिए, हम मांग करते हैं कि मोदी सरकार विशेष सत्र में एक विधेयक लाए ताकि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा टूट सके।"क्यों बुलाया गया है संसद का विशेष सत्र?
सांसद ओवैसी ने तीसरी मांग करते हुए कहा कि इसरो वैज्ञानिकों और स्टार भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा को संसद में आमंत्रित किया जाना चाहिए और सम्मानित किया जाना चाहिए। बता दें कि केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच पांच दिनों के लिए संसद के विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है। मगर यह विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है इसके एजेंडे को अभी गुप्त रखा गया है, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हो गईं हैं।इससे पहले संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चला था। इस दौरान मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ था। विपक्ष ने मणिपुर के मुद्दे पर सदन में चर्चा और पीएम मोदी के बयान की मांग की थी।