जमीन से लेकर आकाश तक होगा भारतीय सेना का दबदबा, 'प्रोजेक्ट आकाशतीर' दुश्मन हर हरकत पर रखेगा नजर
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना प्रोजेक्ट आकाशतीर के जरिये स्वयं को वायु रक्षा तकनीक में सबसे आगे रख रही है जिससे भारत के ऊपर एक सुरक्षित और सतर्क हवाई क्षेत्र की मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है। इस प्रोजेक्ट में वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर इसे स्वचालित करने के लिए एक अत्याधुनिक पहल को डिजाइन किया गया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय सेना का दबदबा जमीन से लेकर आसमान तक पुख्ता करने के लिए एक के बाद एक तेजी से कार्रवाई की जा रही है। इस कड़ी में मंगलवार को तीन ऐसी जानकारियां सामने आईं, जो बताती हैं कि सेना की मजबूती और सतर्कता ऐसी होने जा रही है, जिससे परिंदा भी पर ना मार सके। इनमें 'प्रोजेक्ट आकाशतीर' को शामिल करने के साथ निगरानी हेलीकॉप्टर और हर भूभाग पर चलने वाले वाहन (एटीवी) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू करना शामिल है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना 'प्रोजेक्ट आकाशतीर' के जरिये स्वयं को वायु रक्षा तकनीक में सबसे आगे रख रही है, जिससे भारत के ऊपर एक सुरक्षित और सतर्क हवाई क्षेत्र की मौजूदगी सुनिश्चित की जा रही है। इस प्रोजेक्ट में वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण कर इसे स्वचालित करने के लिए एक अत्याधुनिक पहल को डिजाइन किया गया है।
भारतीय सेना की रक्षा इकाइयों में व्यापक कवरेज सुनिश्चित होगा
सूत्र के अनुसार, ''प्रोजेक्ट आकाशतीर को चरणबद्ध ढंग से शामिल करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। कुल 455 ऐसी प्रणालियों की जरूरत थी, जिनमें से 107 दी जा चुकी हैं। बाकी 105 को मार्च 2025 तक दिए जाने की संभावना है। जबकि बची हुई शेष प्रणालियों को मार्च 2027 तक सौंप दिया जाएगा और इससे भारतीय सेना की रक्षा इकाइयों में व्यापक कवरेज सुनिश्चित होगा।'हाल ही में, भविष्य की लड़ाइयों के संभावित घटनाक्रमों के अनुसार प्रोजेक्ट आकाशतीर का ''रीयल टाइम सत्यापन'' किया गया था। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने इसे स्वयं देखा और इसे भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में एक परिवर्तनकारी छलांग माना। निगरानी हेलीकॉप्टर की खरीदारीसरकार ने निगरानी हेलीकाप्टरों और इससे जुड़ी वस्तुओं की खरीदारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है और मंगलवार को इसके लिए रिक्वेस्ट फार इंफार्मेशन (आरएफआइ) जारी किया।
आरएफआइ के अनुसार इन निगरानी हेलीकाप्टरों को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत लाने की योजना है। इसके अंतर्गत चुने जाने वाले भारतीय निर्माताओं को दो वर्ष के अंदर आपूर्ति करनी होगी। स्थान के हिसाब से भी इन हेलीकॉप्टरों में मौजूद निगरानी क्षमता तैयार किए जाने के लिए कहा गया है, जिसमें इन्हें मरुस्थली, मैदानी या 4,500 मीटर ऊंचाई तक के पर्वतीय इलाकों में तैनात किए जाने पर चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा सके।
इन्हें पश्चिमी सीमाओं से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात किए जाने की योजना है और यह देश में हर तरह के मौसम और भौगोलिक इलाकों में दिन-रात निगरानी कर सकेंगे। इसमें बताया गया है कि इन निगरानी हेलीकाप्टरों की डिजाइन ऐसी होगी, ताकि इन्हें भविष्य की जरूरत के हिसाब से बिना डिजाइन या ढांचे में बदलाव किए एक्ससेरीज के जरिये अपग्रेड किया जा सके।