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भारत में जानलेवा बना वायु प्रदूषण, खराब हवा से दिल्ली में हर साल 12 हजार मौतें; जानें मुंबई, वाराणसी समेत अन्य शहरों का हाल

रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली में हर साल 12000 मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं। बता दें कि भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में होने वाली सभी मौतों में से सात प्रतिशत से अधिक मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं।अहमदाबाद बेंगलुरु चेन्नई हैदराबाद कोलकाता मुंबई पुणे शिमला और वाराणसी शहरों में पीएम का लेवल बढ़ा है। 2019 के मुकाबले इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Published: Thu, 04 Jul 2024 08:31 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 09:51 AM (IST)
वायु प्रदूषण से देश में अधिक मौतें (file photo)

एजेंसी, नई दिल्ली। भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में होने वाली सभी मौतों में से सात प्रतिशत से अधिक मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं। एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है, राजधानी दिल्ली सहित धुंध से भरे भारतीय शहर दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण से पीड़ित हैं, जिससे लोगों के फेफड़े जाम हो रहे हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ रहा है।

नए रिसर्च में, एक भारतीय नेतृत्व वाली टीम ने अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी शहरों में पीएम (Particulate Matter) का लेवल 2.5 देखा, इसके चलते कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।

2008 से 2019 तक हुई इतनी मौतें

रिसर्च के मुताबिक, 2008 से 2019 तक, हर साल 33,000 से अधिक मौतों का कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन की 15 माइक्रोग्राम प्रति से अधिक पीएम 2.5 है, जिससे खतरे बढ़ने की आशंका ज्यादा है। द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल के रिसर्च के अनुसार, उन शहरों में दर्ज की गई मौतों का यह 7.2 प्रतिशत है।

दिल्ली में 12 हजार से मौतें

भारत की राजधानी दिल्ली में साल की 12,000 मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी थीं। वहीं मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में जहां वायुप्रदूषण से मृत्यु दर की आशंका कम आंकी गई थी, लेकिन रिसर्च के मुताबिक, इन शहरों में मृत्यु दर अधिक पाई गई।

रिसर्च ने भारत के वायु गुणवत्ता मानकों (India Air Quality) को सख्त करने का आह्वान किया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लेखक जोएल श्वार्ट्ज ने कहा, 'प्रदूषण को कम करने और लागू करने से हर साल हजारों लोगों की जान बच जाएगी।' उन्होंने एक बयान में कहा, 'प्रदूषण को नियंत्रित करने के तरीके मौजूद हैं, उन्हें भारत में तत्काल लागू करने की आवश्यकता है।'

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