बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए आपको कौन-सा कदम सबसे ज्यादा प्रभावी लगता है, जागरण के पोल में क्या रही लोगों की राय?
इस साल देश के 76 फीसदी से ज्यादा शहरों में प्रदूषण से हालात चिंताजनक बने हुए हैं। ऐसे में जागरण की तरफ से प्रदूषण को लेकर एक पोल किया गया है। पोल में 13 हजार 630 लोगों ने भाग लिया। इनमें से 7 हजार से ज्यादा लोगों ने पौधारोपण करने की सलाह दी। वहीं पब्लिक ट्रांसपोर्ट इस्तेमाल करने वाले विकल्प पर भी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: देश में हर साल प्रदूषण बढ़ रहा है, इस साल देश के 76 फीसदी से ज्यादा शहरों में प्रदूषण से हालात चिंताजनक बने हुए हैं। दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों तक वायु प्रदूषण अधिक होने की एक वजह विशेषज्ञ मौसमी बदलाव और जलवायु परिवर्तन को भी मान रहे हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि दिल्ली में पहले पूर्व दिशा से चलने वाली हवा ने प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रित रखा था, लेकिन बाद में अब मौसमी स्थितियां प्रदूषण को हवा दिया। प्रदूषण को लेकर Jagran.com ने एक पोल किया है, जिसमें लगभग 13 हजार 800 लोगों ने हिस्सा लिया।
पोल के दौरान हमने सवाल पूछा- बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए कौन-सा कदम सबसे ज्यादा प्रभावी लगता है?
हमने विकल्प के तौर पर 5 जवाब दिए थे जिसमें सबसे ज्यादा लोगों ने पोधारोपण को चुना। विकल्प कुछ इस प्रकार थे:
- दूसरे विकल्प पर थे पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाले, 2 हजार से ज्यादा लोगों ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सलाह दी।
- तीसरे नंबर पर निजी वाहनों पर प्रतिबंध को लेकर 1 हजार 700 लोगों ने सहमति जताई
- 1 हजार लोगों ने एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग में सुधार को लेकर सलाह दी।
- वहीं दफ्तरों के समय में बदलाव को लेकर 803 लोगों की तरफ से सलाह दी गई है , ये पोल में सबसे कम है।
- पोल के मुताबिक, सबसे ज्यादा लोगों की भागीदारी पौधारोपण में दिखाई दी और सबसे कम दफ्तर के समय में बदलाव को लेकर लोगों का समर्थन दिखा।
SC ने दिल्ली सरकार और पुलिस को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अभय एस. ओका और ए.जार्ज मसीह की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़े वायु प्रदूषण पर शुक्रवार को फिर सुनवाई की। साथ ही दिल्ली में भारी वाहनों के प्रवेश को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि ग्रेप-4 के प्रतिबंधों के तहत जब दिल्ली में भारी वाहनों को प्रवेश नहीं हो सकता है तो फिर वाहनों का कैसे प्रवेश हो रहा है।