पोर्ट ब्लेयर एयरपोर्ट पर जल्द ही कम दृश्यता में भी उतारे जा सकेंगे विमान, वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा ILS से हुआ लैस
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर स्थित वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अब इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) से सुसज्जित हो गया है। यह प्रणाली कम दृश्यता में विमानों को आवाजाही में सक्षम बनाएगी। आइएलएस विमान को कम दूरी का मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सटीक रेडियो नेविगेशन प्रणाली है। इससे चालक दल को खराब मौसम कम दृश्यता और रात में विमानों को रनवे तक पहुंचाने में काफी मदद मिलती है।
पीटीआईष पोर्ट ब्लेयर। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर स्थित वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अब इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आइएलएस) से सुसज्जित हो गया है। यह प्रणाली कम दृश्यता में विमानों को आवाजाही में सक्षम बनाएगी। आइएलएस विमान को कम दूरी का मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सटीक रेडियो नेविगेशन प्रणाली है। इससे चालक दल को खराब मौसम, कम दृश्यता और रात में विमानों को रनवे तक पहुंचाने में काफी मदद मिलती है।
अब केवल एक औपचारिकता शेष
एयरपोर्ट निदेशक देवेंद्र यादव ने बताया कि इस प्रक्रिया को दिन के समय कोलकाता पोर्ट ब्लेयर के लिए विस्तारा की उड़ान (यूके747) के रूप में मान्य किया गया। आइएलएस के संचालन के बारे में यादव ने कहा कि अब केवल एक औपचारिकता शेष है। जल्द ही, आइएलएस के संबंध में पूरा डाटा एयरोनाटिकल इंफार्मेशन पब्लिकेशन (भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की देखरेख में एक पोर्टल) पर अपलोड किया जाएगा।
इसके बाद रात और खराब मौसम में उड़ान संचालन को सक्षम करने के लिए एयरपोर्ट के उड़ान नियमों को दृश्य उड़ान नियम (वीएफआर) से उपकरण उड़ान नियम (आईएफआर) में बदल दिया जाएगा।
मार्च के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एयरपोर्ट के रनवे पर प्रमुख रोशनी प्रणाली पर तेजी से काम चली रहा है और यहां रात में लैंडिंग की सुविधा मार्च के अंत तक उपलब्ध होने की उम्मीद है।
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