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म्यांमार के एनएसए से मिले अजीत डोभाल, कहा- भारत के हितों का रखें ख्याल

Myanmar म्यांमार में चल रही घरेलु अशांति के बीच भारत लगातार वहां की सैन्य सरकार से संपर्क बनाए हुए है। हाल ही में म्यांमार के विदेश मंत्री के भारत दौरे के बाद अब एनएसए अजीत डोभाल ने म्यांमार में अपने समकक्ष एडिमर मोए आंग से मुलाकात की है जिसमें उन्होंने भारत के हितों का ख्याल रखने की अपील की है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 26 Jul 2024 07:32 PM (IST)
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BIMSTEC में हिस्सा लेने म्यांमार पहुंचे अजीत डोभाल। (फोटो X)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। म्यांमार की सैन्य सरकार और इसके विरोध में स्थापित सैनिक विद्रोहियों के संगठन के बीच शांति समझौता बनने की संभावनाओं के बीच भारत ने अपने इस पड़ोसी देश के साथ संपर्क तेज कर दिया है। म्यांमार की घरेलू अशांति का असर देश के पूर्वोत्तर राज्यों पर दिख रहा है। यही वजह है कि अमेरिकी व यूरोपीय देशों के सुझावों को नजरअंदाज करके भारत लगातार म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ संवाद बनाये हुए है।

इस क्रम में शुक्रवार को भारत के एनएसए अजीत डोभाल ने म्यांमार के एनएसए एडिमर मोए आंग से मुलाकात की और इस बैठक में डोभाल ने बेहद स्पष्ट शब्दों में भारत की चिंताओं को रेखांकित किया है। डोभाल राजधानी नेपीडाव में बिम्सेटक संगठन के सुरक्षा प्रमुखों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए म्यांमार गये हैं। वैसे डोभाल के जाने से पहले पिछले कुछ हफ्तों में म्यांमार के विदेश मंत्री दो बार भारत की यात्रा कर चुके हैं, जो द्विपक्षीय रिश्तों के पटरी पर आने के संकेत है।

फरवरी 2021 में हुआ था तख्तापलट

म्यांमार की लोकतांत्रिक सरकार को 01 फरवरी, 2021 को सैन्य विद्रोहियों ने तख्तापलट कर दिया था। उसके बाद म्यांमार पर अमेरिका व दूसरे देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। इस बीच वर्ष 2022 से वहां के कुछ सैन्य तानाशाही के खिलाफ कई स्थानीय संगठनों ने संयुक्त तौर पर विद्रोह कर दिया है। विद्रोही संगठनों ने तीन राज्यों पर कब्जा भी कर रखा है।

कई जगहों पर केंद्रीय सत्ता में सत्तारुढ़ संगठन के सैनिकों ने विद्रोही संगठनों को वर्चस्व को स्वीकार कर लिया है। म्यांमार में अशांति फैलने से बड़ी संख्या में शरणार्थियों की तरफ से अभी भी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शरण लेने की कोशिश की जा रही है। यह भारत के लिए काफी संवेदनशील मुद्दा, है क्योंकि यह क्षेत्र पहले से ही शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है।

ये हैं भारत की चिंताओं के कारण

म्यांमार की अंदरुनी अस्थिरता के बाद वहां से मादक द्रव्यों की स्मगलिंग भी भारत के लिए चिंता का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा म्यांमार, कंबोडिया व थाइलैंड में ऐसे गैंग सक्रिय हो गये हैं, जो भारतीयों को नौकरी के नाम पर बहका ले जाने का काम कर रहे है। तीन महीने पहले दर्जनों भारतीय युवकों को यूरोप में नौकरी देने के नाम ले जाया गया था और बाद में उन्हें म्यांमार में छोड़ दिया गया था।

यही वजह है कि कुछ महीने पहले गृह मंत्री ने अमित शाह ने भारत-म्यांमार की पूरी सीमा पर बाड़ लगाने का ऐलान किया था। साथ ही चीन का दखल भी लगातार म्यांमार में हो रहा है। इन वजहों से भारत ने म्यांमार के सैन्य सरकार के साथ संपर्क बना कर रखा हुआ है। बिम्सटेक (भारत, बांग्लादेश, थाइलैंड, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार व नेपाल का संगठन) को आगे बढ़ाने में भारत की अहम भूमिका है।

भारत ने किया अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने का प्रयास

ऐसे में जहां म्यांमार पर दूसरे देश प्रतिबंध लगा रहे हैं वहीं भारत ने वहां बिम्सटेक की बैठक का आयोजन कर वहां की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर थोड़ी मान्यता दिलाने की कोशिश की है। जानकारों के मुताबिक एनएसए डोभाल ने म्यांमार के एनएसए को सीमा की स्थिति और भारत के अंदरुनी सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चुनौतियों के बताया। दो हफ्ते नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यही बात म्यांमार के विदेश मंत्री थान स्वे से कही थी। उस समय भारत, थाईलैंड व म्यांमार के विदेश मंत्रियों की एक त्रिपक्षीय बैठक हुई थी।