Ajit Jogi Family: पत्नी, बेटा और बहू अलग-अलग दल में, परिवार के लिए बुक करा रखी है कब्र
घर की दो महिलाएं मतलब अजित जोगी की पत्नी कांग्रेस का दामन थामे रहीं जबकि उनकी बहू ऋचा जोगी ने हाथी की सवारी भी की। मतलब जोगी परिवार के चार लोग तीन दलों में शामिल रहे।
By Vijay KumarEdited By: Updated: Fri, 29 May 2020 08:37 PM (IST)
नई दिल्ली। अजित प्रमोद कुमार जोगी 1968 में आईपीएस बने और दो साल के बाद आईएएस। लगातार 14 साल तक डीएम रहने के बाद सीएम की कुर्सी तक पहुंचे अजित प्रमोद कुमार जोगी, पिता का नाम केपी जोगी, माता कांता मणि, परिवार में अकेले नहीं थे जो राजनीति में आए। घर की दो महिलाएं, मतलब अजित की जोगी पत्नी कांग्रेस का दामन थामे रहीं, जबकि उनकी बहू ऋचा जोगी ने हाथी की सवारी भी की।
मतलब जोगी परिवार के चार लोग तीन दलों में शामिल रहे। कांग्रेस से नाता तोड़ कर जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन किया। इसी दौरान अजित जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी और उनके बेटे अमित जोगी भी राजनीति में उतरे और विधायक चुने गये। जनता कांग्रेस को करारा झटका देते हुए उनकी बहू ऋचा जोगी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुईं, लेकिन वे चुनाव हार गईं। हम बात करने वाले हैं अजित जोगी की जिंदगी की जो इससे कहीं ज्यादा रोचक कहानियों से भरी है।
इंदौर में मौजूद बेटी की कब्र को खुदवा दिया था अजित जोगी ने
हर परिवार की तरह अजित जोगी की फैमिली की भी एक दर्दभरी कहानी है। उनकी बेटी अनुषा ने मई 2000 में आत्महत्या कर ली थी। ऐसा कहा जाता है कि बेटी लव मैरिज करना चाहती थी, जो अजित जोगी को मंजूर नहीं थी। अजित जोगी की बेटी ने आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद उन्हें इंदौर के कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। सीएम बनने के बाद अजित जोगी ने बेटी की कब्र को खुदवाकर उसे अपने पैतृक स्थान पर स्थापित कर दिया था।
अजित जोगी ने अपने पूरे परिवार के लिए पहले से बुक करा रखी है कब्र
जबलपुर के कैंट एरिया में एक कब्रिस्तान है। इसी कब्रिस्तान में अजित जोगी ने अपने पूरे परिवार के लिए कब्र पहले से बुक करा रखी है। अजित जोगी क्रिश्चियन धर्म को मानते हैं और उनकी इच्छा है कि परिवार के सभी सदस्यों की कब्र एक साथ हो। अजित जोगी को राजनीति में लाने का श्रेय राजीव गांधी को
अजित जोगी को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है। अजित जोगी भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं। सत्तर के दशक में वो मध्य प्रदेश के कई जिलों के जिलाधिकारी भी रहे। 1986 में राजीव गांधी को कुछ युवा चेहरों की तालाश थी। इस दौरान अजित जोगी उनके संपर्क में आये। राजीव गांधी ने अजित जोगी को राजनीति में आने निमंत्रण दिया। अजित जोगी ने उनका निमंत्रण स्वीकार कर जिलाधिकारी पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने अजित जोगी को दो बार राज्य सभा भेजा। साल 2000 में जब मध्यप्रदेश का विभाजन करके नया राज्य छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया तब मुख्यमंत्री की दौड़ में कई बड़े नाम शामिल थे।
2018 में गठबंधन को महज सात सीटेंबस्तर के अंतागढ़ के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार को चुनाव मैदान से हटाने के लिये कथित रूप से सौदेबाजी करने का क्लिप वायरल होने के बाद 2016 में कांग्रेस ने उनके विधायक बेटे अमित जोगी को पार्टी से 6 सालों के लिये निष्काषित कर दिया और अजित जोगी को भी नोटिस थमा दिया गया। इसके बाद अजित जोगी ने ख़ुद ही कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया। तरह-तरह के कयास लगते रहे लेकिन जोगी ने 23 जून 2016 को छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से पार्टी बनाने की घोषणा कर दी। साल 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए जोगी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से हाथ मिलाया। हालांकि, उनके गठबंधन को महज सात सीटें मिली थीं।