Move to Jagran APP

NCP: पवार के पावर को चुनाव आयोग से मिला झटका, भतीजे अजित को मिला एनसीपी का ठप्पा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की लड़ाई को लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया है जिससे शरद पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। छह महीने से अधिक समय तक चली सुनवाई में चुनाव आयोग ने (एनसीपी) में जारी विवाद का निपटारा किया। चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाया और अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी बताया है।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Tue, 06 Feb 2024 09:27 PM (IST)
Hero Image
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार। (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पार्टी पर दावे की लड़ाई में शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने भतीजे अजित पवार के गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) करार दिया है। साथ ही उन्हें ही पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह घड़ी दोनों देने का फैसला सुनाया है।

चुनाव आयोग ने शरद पवार को दिया वक्त

इसके साथ ही शरद पवार से अपने लिए पार्टी का नया नाम बुधवार को तीन बजे तीन विकल्पों के साथ मुहैया कराने को कहा है। शरद पवार और अजित पवार के बीच चल रही लड़ाई को लेकर यह फैसला छह महीने से ज्यादा समय से करीब दस सुनवाई के बाद दिया है। जिसमें आयोग ने दोनों ही पक्षों से पार्टी के अपने अधिकारों को लेकर सबूत पेश करने को कहा था। इस दौरान दोनों ही पक्षों ने अपने-अपने पक्ष में विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों के शपथ पत्र सौंपे थे।

किस आधार पर सुनाए गए फैसले?

चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद विधानसभा, विधान परिषद के साथ ही लोकसभा व राज्यसभा के पार्टी के सदस्यों के समर्थन के आधार पर अपना फैसला सुनाया है। आयोग ने समाजवादी पार्टी और शिवसेना पर अधिकारों से जुड़े विवाद में भी इसी आधार पर फैसला दिया था।

यह भी पढ़ेंः चाचा शरद पवार के गढ़ में भतीजे अजीत पवार की हुंकार, अभेद बारामती लोकसभा सीट में फंस सकता है पेंच

आयोग की ओर से दिए गए 141पन्नों के फैसले में बताया गया है कि अजित पवार के साथ महाराष्ट्र में पार्टी के 41 विधायक, विधान परिषद के पांच सदस्य, नगालैंड के सभी सात विधायक, झारखंड एक और लोकसभा के दो व राज्यसभा के एक सांसद ने किया समर्थन, जबकि शरद पवार के समर्थन में महाराष्ट्र के 15 विधायक के साथ ही विधानपरिषद के चार सदस्य, केरल के दो विधायक और लोकसभा के चार व राज्यसभा के तीन सांसदों ने शपथ पत्र दिया था। इस दौरान महाराष्ट्र विधानसभा के पांच विधायक और लोकसभा के एक सांसद ने दोनों ही पक्षों के साथ रहने को लेकर शपथ पत्र दिया था।

अजित पवार ने की थी बगावत

गौरतलब है कि दो जुलाई 2023 को अजित पवार 40 विधायकों के साथ बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) की अगुवाई वाली सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने एनसीपी दावा ठोंका था। इसके बाद यह पूरा विवाद चुनाव आयोग पहुंचा था।

यह भी पढ़ेंः भतीजे अजित का चाचा पर परोक्ष हमला, कहा- पता नहीं आखिरी चुनाव कौन सा होगा; तो शरद गुट ने दे डाली यह नसीहत