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मणिपुर हिंसा पर सर्वदलीय बैठक संपन्न, सरकार ने दिया शांति बहाली का आश्वासन; मनोज झा बोले- खुले मन से हुई बात

मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर शनिवार को नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी बात रखी। दरअसल मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच एक महीने पहले भड़की हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत चार दिवसीय दौरा किया था।

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 24 Jun 2023 07:07 PM (IST)
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मणिपुर की स्थिति को लेकर सर्वदलीय बैठक संपन्न (फोटो: एएनआई)
नई दिल्ली, एजेंसी। मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर शनिवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक संपन्न हो गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी राजनीतिक दलों को मौजूदा हालातों की जानकारी दी। संसद भवन में करीब 3 घंटे तक चली। 

इस बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), राजद (RJD), वामदलों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया।

बैठक के शुरू में गृह मंत्रालय की ओर से शांति स्थापित करने के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। वहीं कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर जनता का भरोसा नहीं होने का हवाला देते हुए उन्हें हटाने की मांग की।

'सर्वदलीय बैठक में खुले मन से हुई बात'

राजद सांसद मनोज झा के मुताबिक, सर्वदलीय बैठक में खुले मन से बातचीत हुई और तमाम दलों ने अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि खुले मन से बात हुई हम सबने अपनी राय रखी। वहां के राजनीतिक नेतृत्व में (लोगों का) अविश्वास है और यह बात सारे विपक्षी दलों ने रखी। हमने कहा कि जो इंसान प्रशासन चला रहा है उसमें कोई विश्वास नहीं है। अगर आपको शांति बहाल करनी है तो आप ऐसे व्यक्ति के रहते नहीं कर सकते हैं।

वहीं, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमने मणिपुर को लेकर अपनी चिंताएं रखी हैं। 100 लोग मारे गए हैं और करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

डीएमके सांसद ने कहा,

इस पर सबसे दुखद यह है कि प्रधानमंत्री ने इस पर एक शब्द तक नहीं कहा। वहां की स्थिति का अच्छे से पता लगाने के लिए एक सर्वदलीय दल को मणिपुर भेजना चाहिए। गृह मंत्री ने हमें आश्वासन दिया है।

'मणिपुर में थी सर्वदलीय बैठक करने की जरूरत'

वहीं, कांग्रेस पार्टी की ओर से बैठक में गए मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने बोलने के लिए कम समय मिलने की शिकायत की। बीरेन सिंह के पहले मणिपुर के 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे इबोबी सिंह ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया। इबोबी सिंह का कहना था कि इस तरह की सर्वदलीय बैठक मणिपुर में करने की जरूरत है।

बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद?

हिंसाग्रस्त राज्य की स्थिति का जायजा लेने के लिए अमित शाह ने बैठक बुलाई थी। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह, शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी, तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन सहित अन्य नेता मौजूद रहे।

गृह मंत्रालय ने क्या कुछ बताया

बैठक में गृह मंत्रालय की ओर से मणिपुर की ताजा हालात, हिंसा भड़कने के कारणों और सरकार द्वारा उठाये गए कदमों पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया गया। इसमें बताया कि किस तरह से मणिपुर हाईकोर्ट के फैसले ने हिंसक झड़पें शुरू हुई। इसमें गृहमंत्री अमित शाह द्वारा चार दिन के मणिपुर दौरे और उस दौरान सभी वर्गों के प्रतिनिधियों से व्यापक विचार विमर्श के बारे में बताया।

क्या-क्या कदम उठाए गए

प्रजेंटेशन में बताया गया कि अमित शाह के नेतृत्व में किस तरह से हिंसक घटनाओं की निष्पक्ष जांच, पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा, शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती, हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग के गठन और स्थायी शांति की तलाश के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति के गठन जैसे उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई।

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच एक महीने पहले भड़की हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है। मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'जनजातीय एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुईं थीं।

अमित शाह ने किया था चार दिवसीय दौरा

गृह मंत्री शाह ने पिछले महीने चार दिन के लिए राज्य का दौरा किया था और मणिपुर में शांति बहाल करने के अपने प्रयासों के तहत विभिन्न वर्गों के लोगों से मुलाकात की थी। जिसके बाद हथियार सरेंडर करने की कई खबरें सामने आईं थीं।