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संसद के शीत सत्र में पास हो सकते हैं अंग्रेजों के जमाने के कानून बदलने वाले तीनों विधेयक

केंद्रीय गृहमंत्री ने 11अगस्त को मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून से जुड़े तीन विधेयक पेश किया था जो 1860 और 1898 के बीच बने आइपीसी सीआरपीसी और इंडियन इवेंडेंस एक्ट की जगह लेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार संसदीय समिति की बैठक गुरुवार से शनिवार तक तीन दिन चलेगी जिसमें विधेयक के प्रविधानों पर विस्तृत चर्चा होगी।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Thu, 24 Aug 2023 01:08 AM (IST)
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आगामी लोकसभा चुनाव के पहले नए कानून पूरे देश में प्रभावी हो जाएंगे।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अंग्रेजों के जमाने के कानूनों के बदलने के लिए प्रस्तावित तीनों विधेयकों पर आगामी शीत सत्र के दौरान संसद की मुहर लग सकती है। गुरुवार से गृहमंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति तीनों विधेयकों पर विचार करेगी। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृज लाल की अध्यक्षता में गठित 27 सदस्यीय समिति को तीन महीने का समय दिया गया है।

तीन दिन तक चलेगी समिति की बैठक

ध्यान देने की बात है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून से जुड़े तीन विधेयक पेश किया था, जो 1860 और 1898 के बीच बने आइपीसी, सीआरपीसी और इंडियन इवेंडेंस एक्ट की जगह लेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार संसदीय समिति की बैठक गुरुवार से शनिवार तक तीन दिन चलेगी, जिसमें विधेयक के प्रविधानों पर विस्तृत चर्चा होगी।

बैठक के पहले दिन विधेयकों को लेकर होगा प्रजेंटेशन

बैठक के पहले दिन केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला समिति के सदस्यों के सामने विधेयकों को लेकर प्रजेंटेशन देंगे और इसे तैयार करने के लिए किये गए देशव्यापी विस्तृत विचार-विमर्श की जानकारी देंगे। संसदीय समिति में लोकसभा और राज्यसभा के सत्ता व विपक्ष के विभिन्न पार्टियों के सदस्य हैं।

विधेयक पेश करते हुए अमित शाह ने कहा था कि यह गुलामी के चिह्नों से मुक्ति की दिशा में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनके अनुसार पुराने कानूनों की आत्मा पाश्चात्य है और इसमें दंड पर जोर दिया गया है। जबकि नए कानून की आत्मा भारतीय है और इनमें न्याय पर जोर दिया गया था।

किसी प्रविधान को लेकर कानून विदों की राय भी ले सकती है समिति

वैसे तो विधेयक को तैयार करने के पहले सभी सांसदों, विधायकों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कानूनविदों समेत आम जनता से व्यापक सलाह मशविरा किया गया था। लेकिन यदि संसदीय समिति को जरूरत महसूस होती है, तो वह किसी प्रविधान को लेकर कानून विदों की राय भी ले सकती है। समिति के लिए तीन महीने की समय सीमा तय होने से साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव के पहले नए कानून पूरे देश में प्रभावी हो जाएंगे।