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Mohd Zubair moves SC: यूपी पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकियों को रद कराने के लिए मोहम्मद जुबैर ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

Alt News co founder Mohd Zubair moves Supreme Court मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) ने अपने ट्वीट को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज छह प्राथमिकियों को रद करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 05:27 PM (IST)
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मोहम्मद जुबैर ने उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज छह प्राथमिकियों को रद करने की मांग की है।
नई दिल्‍ली, एजेंसी। 'आल्ट न्यूज' (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) ने अपने ट्वीट को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज छह प्राथमिकियों को रद करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में इन मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (Special Investigative Team, SIT) के गठन को भी चुनौती दी गई है। जुबैर (Mohammed Zubair) ने यूपी में दर्ज की गई छह प्राथमिकियों में अंतरिम जमानत भी मांगी है।

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को हाथरस, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर खीरी और सीतापुर में मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ दर्ज छह मामलों की जांच के लिए दो सदस्यीय एसआईटी का गठन किया। आईजी डा. प्रीतिंदर सिंह एसआईटी के प्रमुख होंगे जबकि पुलिस उप महानिरीक्षक अमित वर्मा एसआईटी के सदस्य हैं।

12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर में मोहम्‍मद जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ दर्ज मामले में दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ा दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justices DY Chandrachud) और एएस बोपन्ना (AS Bopanna) ने मामले को अंतिम निपटान के लिए 7 सितंबर को सूचीबद्ध किया। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा जिस पर उसे चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने की अनुमति दी गई।

पिछली सुनवाई को शीर्ष अदालत (Supreme Court ) ने कहा था कि उसने सीतापुर में दर्ज मामले की जांच पर रोक नहीं लगाई है। जरूरत पड़ने पर पुलिस लैपटाप और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण जब्त कर सकती है। हिंदू शेर सेना की सीतापुर जिला इकाई के अध्यक्ष भगवान शरण की शिकायत पर जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ आइपीसी की धारा-295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-67 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।