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भारत-रूस के रिश्तों पर अमेरिका को एतराज, PM मोदी और पुतिन के मुलाकात से पहले US क्यों हुआ परेशान?

अमेरिका के उप-विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल ने पीएम मोदी के साथ अमेरिकी एनएसए की अगुवाई में हुई बैठक के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि हिंद महासागर में भारत के साथ सहयोग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमारी काफी बात हुई है। हिंद महासागर में भारत की भूमिका केंद्र में होगी और हमारी कोशिश है कि भारत की सामुद्रिक क्षेत्र में शक्ति बढ़ाई जाए।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 26 Jun 2024 11:45 PM (IST)
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पीएम मोदी दो हफ्तों के भीतर रूस जाने वाले हैं।(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले दो हफ्तों के भीतर रूस जाने की तैयारी कर रहे हैं, इस बीच अमेरिका ने कहा है कि रूस और भारत के बीच गहरे रिश्तों से भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी देने की कोशिशों पर असर पड़ सकता है।

अमेरिका ने भारत के समक्ष उच्च स्तर पर रूस के साथ उसके संबंधों को लेकर अपनी चिंताओं को उठाया है और अमेरिकी प्रशासन यह मानता है कि भारत के साथ मिलकर इन चिंताओं को कम किया जा सकता है। अमेरिका के उप-विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल ने भारतीय पत्रकारों के साथ वीडियो प्रेस कॉंफ्रेंस में उक्त बातें कहीं।

उन्होंने यह भी दोहराया कि अमेरिका भारत के साथ अत्याधुनिक प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में बेहद मजबूत रिश्ते बनाने को प्रतिबद्ध है।

रसेल पिछले हफ्ते भारत के एनएसए अजीत डोभाल और अमेरिका के एनएसए जैक सुलीवैन की अध्यक्षता में हुई इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलाजीज (आइसीइटी) की बैठक की जानकारी दे रहे थे।

हिंद महासागर में केंद्र में होगी भारत की भूमिका

अमेरिका के उप-विदेश मंत्री ने पीएम मोदी के साथ अमेरिकी एनएसए की अगुवाई में हुई बैठक के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि हिंद महासागर में भारत के साथ सहयोग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमारी काफी बात हुई है।

हिंद महासागर में भारत की भूमिका केंद्र में होगी और हमारी कोशिश है कि भारत की सामुद्रिक क्षेत्र में शक्ति (वायु सेना और नौ सेना दोनों में) बढ़ाई जाए। यह इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए जरूरी है।

भारत और रूस के संबंध पर यूएस ने क्या कहा? 

रूस के बारे में कैम्पबेल ने कहा,"भारत और अमेरिका के बीच भारत और रूस के संबंधों को लेकर खुल कर बात होती है। जहां तक अमेरिका की बात है तो हम भारत के साथ बहुत ही गहरे और मजबूत प्रौद्योगिकी रिश्ते बनाने के पक्ष में हैं।

हमने साफ तौर पर बताया है कि भारत और रूस के बीच सैन्य व प्रौद्योगिकी के स्तर पर संबंध बने रहे हैं तो इसका क्या-क्या असर हो सकता है। हमने अपनी चिंताओं से भारत को अवगत करा दिया है। हमारे संबंध कई क्षेत्रों में मजबूत हो रहे हैं और यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कुछ मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद भी हों।

कैम्पबेल ने आगे कहा कि  जिन बिंदुओं पर सहमति नहीं है, उसे भी साफ तौर पर हम बताते हैं ताकि असहमति को कम किया जा सके।'

अमेरिकी के उप विदेश मंत्री का यह बयान तब आया है जब पीएम मोदी के आठ जुलाई को मॉस्को जाने की सूचना है। इस दौरान मोदी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ भारत-रूस शिखर सम्मेलन की अध्ययक्षता करेंगे।

युद्ध के बीच भारत ने रूस से खरीदे कच्चे तेल  

यूक्रेन पर रूस के हमले (फरवरी, 2022) के बाद अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद नहीं की। भारत अभी भी अपनी सैन्य जरूरत का तकरीबन 55 प्रतिशत रूस से लेता है। भारत और अमेरिका के बीच हुई आइसीईटी की बैठक में सैन्य व अत्याधुनिक तकनीक के क्षेत्र में सहयोग के दीर्घकालिक लक्ष्यों पर बात हुई है।

भारत और यूएस के बीच 'स्ट्राइकर' को लेकर हो रही बातचीत

कैम्पबेल ने बताया कि भारत उन बेहद चुनिंदा देशों में है जिनके साथ हम प्रौद्यगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बहुत ही प्रगाढ़ बनाने के इच्छुक है। यह सभी क्षेत्रों में होगा। जैसे भारत को हथियारबंद वाहन 'स्ट्राइकर' को देने को लेकर बातचीत चल रही है।

कैम्पबेल ने आगे कहा कि भारतीय सेना ने इसमें रूचि दिखाई है और हम जल्द ही भारतीय सेना को इसकी खासियत बताने जा रहे हैं। अमेरिका इसका भारत में सह-उत्पादन करने को तैयार है। इसी तरह से अमेरिका की तरफ से तैयार एंटी-टैंक मिसाइल जैवेलीन के निर्माण को लेकर भी बातचीत जारी है। लेकिन ये दोनों शुरुआती स्तर पर हैं।

उन्होंने कहा कि क्वाड (जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व भारत का संगठन) की अगली शीर्ष बैठक भारत में ही करने को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। संभवत: यह बैठक इस साल के अंत तक होगी।

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