भारत-रूस के रिश्तों पर अमेरिका को एतराज, PM मोदी और पुतिन के मुलाकात से पहले US क्यों हुआ परेशान?
अमेरिका के उप-विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल ने पीएम मोदी के साथ अमेरिकी एनएसए की अगुवाई में हुई बैठक के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि हिंद महासागर में भारत के साथ सहयोग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमारी काफी बात हुई है। हिंद महासागर में भारत की भूमिका केंद्र में होगी और हमारी कोशिश है कि भारत की सामुद्रिक क्षेत्र में शक्ति बढ़ाई जाए।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले दो हफ्तों के भीतर रूस जाने की तैयारी कर रहे हैं, इस बीच अमेरिका ने कहा है कि रूस और भारत के बीच गहरे रिश्तों से भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी देने की कोशिशों पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका ने भारत के समक्ष उच्च स्तर पर रूस के साथ उसके संबंधों को लेकर अपनी चिंताओं को उठाया है और अमेरिकी प्रशासन यह मानता है कि भारत के साथ मिलकर इन चिंताओं को कम किया जा सकता है। अमेरिका के उप-विदेश मंत्री कर्ट कैम्पबेल ने भारतीय पत्रकारों के साथ वीडियो प्रेस कॉंफ्रेंस में उक्त बातें कहीं।
उन्होंने यह भी दोहराया कि अमेरिका भारत के साथ अत्याधुनिक प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में बेहद मजबूत रिश्ते बनाने को प्रतिबद्ध है।
रसेल पिछले हफ्ते भारत के एनएसए अजीत डोभाल और अमेरिका के एनएसए जैक सुलीवैन की अध्यक्षता में हुई इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलाजीज (आइसीइटी) की बैठक की जानकारी दे रहे थे।
हिंद महासागर में केंद्र में होगी भारत की भूमिका
अमेरिका के उप-विदेश मंत्री ने पीएम मोदी के साथ अमेरिकी एनएसए की अगुवाई में हुई बैठक के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि हिंद महासागर में भारत के साथ सहयोग एक ऐसा मुद्दा है जिस पर हमारी काफी बात हुई है।हिंद महासागर में भारत की भूमिका केंद्र में होगी और हमारी कोशिश है कि भारत की सामुद्रिक क्षेत्र में शक्ति (वायु सेना और नौ सेना दोनों में) बढ़ाई जाए। यह इस क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए जरूरी है।
भारत और रूस के संबंध पर यूएस ने क्या कहा?
रूस के बारे में कैम्पबेल ने कहा,"भारत और अमेरिका के बीच भारत और रूस के संबंधों को लेकर खुल कर बात होती है। जहां तक अमेरिका की बात है तो हम भारत के साथ बहुत ही गहरे और मजबूत प्रौद्योगिकी रिश्ते बनाने के पक्ष में हैं।कैम्पबेल ने आगे कहा कि जिन बिंदुओं पर सहमति नहीं है, उसे भी साफ तौर पर हम बताते हैं ताकि असहमति को कम किया जा सके।'अमेरिकी के उप विदेश मंत्री का यह बयान तब आया है जब पीएम मोदी के आठ जुलाई को मॉस्को जाने की सूचना है। इस दौरान मोदी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ भारत-रूस शिखर सम्मेलन की अध्ययक्षता करेंगे।हमने साफ तौर पर बताया है कि भारत और रूस के बीच सैन्य व प्रौद्योगिकी के स्तर पर संबंध बने रहे हैं तो इसका क्या-क्या असर हो सकता है। हमने अपनी चिंताओं से भारत को अवगत करा दिया है। हमारे संबंध कई क्षेत्रों में मजबूत हो रहे हैं और यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कुछ मुद्दों पर हमारे बीच मतभेद भी हों।