नागरिकता संशोधन कानून के आधार पर भारत को घेरने की कोशिश में जुटे अमेरिकी विदेश मंत्रालय के रवैये पर भारत ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि जहां तक सीएए पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया का सवाल है तो यह पूरी तरह से गलत तथ्यहीन और अनापेक्षित है। भारत का संविधान सभी को धार्मिक आजादी मुहैया कराता है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के आधार पर भारत को घेरने की कोशिश में जुटे अमेरिकी विदेश मंत्रालय के रवैये पर भारत ने बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। भारत ने एक तरफ जहां अमेरिका व कुछ दूसरे देशों पर यह आरोप लगा दिया है कि वह सीएए का विरोध अपने वोटबैंक पॉलिटिक्स की वजह से कर रहे हैं, वहीं यह भी कहा है कि जिन देशों को भारत की बहुलवादी परंपराओं का ज्ञान नहीं है उन्हें भारत को नसीहत देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
भारतीय विदेश मंत्रालय की यह तल्ख प्रतिक्रया अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उस बयान के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि अमेरिका इस बात पर पैनी नजर रखेगा कि भारत में सीएए किस तरह से लागू किया जा रहा है। अमेरिका ने भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति और अल्पसंख्यकों के साथ बराबरी के व्यवहार का मुद्दा भी उठाया है।अपने सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार देश अमेरिका की तरफ से आये इस तरह की प्रतिक्रिया को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय बहुत अचंभित नहीं है, क्योंकि वह यह जानते हैं कि अमेरिकी प्रशासन का एक तबका ऐसा है, जो भारत के साथ संबंधों की गति को लेकर बहुत संतुष्ट नहीं है। यह तबका कभी भारत में धार्मिक आजादी तो कभी मानवाधिकार की स्थिति तो कभी खालिस्तान समर्थकों को अमेरिका में प्रश्रय देने या कभी भारत में टैक्स की उच्च दर जैसे मुद्दों को हवा देने से बाज नहीं आता है।
MEA प्रवक्ता ने क्या कुछ कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल की तीखी प्रतिक्रिया इसी स्थिति को सामने लाने की कोशिश है। जायसवाल ने कहा,
जहां तक सीएए पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया का सवाल है, तो यह पूरी तरह से गलत, तथ्यहीन और अनापेक्षित है। भारत का संविधान सभी को धार्मिक आजादी मुहैया कराता है। अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार करने का कोई आधार ही नहीं है, जो लोग मुसीबत में हैं, उन्हें मदद देने के प्रशंसनीय कार्य पर वोटबैंक की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
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'भारत का आंतरिक मामला है CAA'
जायसवाल ने यह भी कहा कि सीएए भारत का एक आंतरिक मामला है। यह मानवाधिकार को लेकर भारत की प्रतिबद्धता और सभी को साथ लेकर चलने की पुरानी परंपरा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। सीएए नागरिकता देने संबंधी व्यवस्था है, किसी की नागरिकता छीनने का नहीं। यह राज्यविहीन लोगों को मानवाधिकार देने और मानव गरिमा देने की व्यवस्था है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा,
जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं की जानकारी नहीं है और जो लोग आजादी के बाद यहां के हालात से वाकिफ नहीं है उन्हें भाषण देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। भारत के साझेदारों और शुभेच्छा रखने वालों को सीएए लागू करने के पीछे की सोच का स्वागत करना चाहिए।
हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका की तरफ से अपने किसी मामले में प्रतिक्रिया जताने पर इतनी तीखी भाषा में अपनी सोच जाहिर नहीं की है।जायसवाल के इस बयान के कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि, अमेरिका भारत में सीएए की अधिसूचना जारी होने से ¨चतित है और इसे किस तरह से लागू किया जाता है, इस पर नजर रखा जाएगा।
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