भारतीय मूल के चंद्रशेखर ने रखी थी नासा के 'टच द सन' मिशन की नींव
टच द सन मिशन की नींव भारतीय मूल के खगोल भौतिक वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने रखी थी।
By Arti YadavEdited By: Updated: Mon, 13 Aug 2018 08:56 AM (IST)
नई दिल्ली (प्रेट्र)। नासा द्वारा सूर्य की सतह के ऊपर के क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए जिस टच द सन मिशन की शुरुआत की है। मिशन की नींव भारतीय मूल के खगोल भौतिक वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने ही रखी थी। उन्होंने 60 साल पहले डॉ. एयुगेन नेवमैन पार्कर के शोध प्रकाशन का रास्ता साफ किया था।
1958 में पार्कर ने सोलर विंड की खोज की थी। उस समय उनकी उम्र 31 वर्ष की थी। उन्होंने कहा था कि सूर्य से लगातार चार्ज्ड पार्टिकल निकलते रहते हैं और अंतरिक्ष में घूमते रहते हैं। वैज्ञानिक समुदाय ने उनकी इस स्थापना को मानने से इन्कार कर दिया था। वैज्ञानिकों का मानना था कि अंतरिक्ष बिलकुल खाली है।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइआइएसइआर) कोलकाता के एसोसिएट प्रोफेसर दिब्येंदु नंदी ने बताया कि पार्कर ने खगोलीय जर्नल को अपना शोध सौंपा था। दो बार अलग-अलग समीक्षकों ने उसे नकार दिया था। खगोलीय जर्नल के वरिष्ठ संपादक सुब्रमण्यन चंद्रशेखर ने समीक्षकों को नकार दिया था। उन्होंने इस रिसर्च पर काम किया और इसे प्रकाशित करने का फैसला किया। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में काम करने के लिए 1983 में उन्हें नोबल पुरस्कार मिला था।
अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से रविवार को सूर्य के लिए रवाना हुए नासा के पार्कर सोलर प्रोब स्पेसक्राफ्ट का उद्देश्य डॉक्टर यूजीन न्यूमैन पार्कर के रिसर्च में प्रस्तावित 'सौर वायु' का अध्ययन करना है। पार्कर अब पहले जीवित वैज्ञानिक बन गए हैं, जिनके नाम पर मिशन है।
पहली बार सूर्य को अत्यंत करीब से जानने की कोशिश के तहत रविवार को नासा ने अपने अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब को रवाना किया। कार के आकार का यह अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब से गुजरेगा, जहां से आज तक कोई अंतरिक्ष यान नहीं गुजर पाया है। इसके प्रक्षेपण का मुख्य मकसद कोरोना के रहस्य से पर्दा उठाना है।