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'किसी का घर छूटा और किसी की जान गई', विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस पर अमित शाह ने पीड़ितों को किया याद

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने विभाजन के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर मेरी ओर से उन लाखों लोगों को श्रद्धांजलि जिन्होंने हमारे इतिहास के इस सबसे वीभत्स प्रकरण के दौरान अमानवीय पीड़ा झेली जान गंवाई और बेघर हो गए।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Wed, 14 Aug 2024 11:00 PM (IST)
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विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस पर अमित शाह ने पीड़ितों को किया याद (Image: X/@AmitShah)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। 1947 में देश के विभाजन के दौरान कभी न भूली जा सकने वाली त्रासदी झेलने वाले लोगों को याद करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जो देश अपने इतिहास को याद रखता है, वही अपना भविष्य बना सकता है और एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर सकता है।

अंग्रेजी राज से मुक्ति मिलने के साथ ही देश को विभाजन की त्रासदी झेलनी पड़ी थी और इसके फलस्वरूप एक मुस्लिम देश पाकिस्तान बनाया गया था। इस संकट में न केवल करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था, बल्कि बीस लाख से अधिक लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर क्या बोले शाह

अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट किया-विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर अमानवीय दर्द सहने वालों, अपना जीवन गंवाने वालों और अपनी जड़ों से उखड़ जाने वालों को श्रद्धांजलि। यह हमारे देश की सबसे बड़ी त्रासदी है, जिसके कष्टों को कभी भूला नहीं जा सकता। शाह के मुताबिक विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में इतिहास के इस पन्ने को याद रखना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का मूलभूत कार्य है।

2021 में मोदी सरकार ने घोषित किया था ये दिवस

मोदी सरकार ने 2021 में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस घोषित किया है। तब से प्रति वर्ष इस दिन विभाजन की त्रासदी का स्मरण किया जाता है। विभाजन विभीषिका स्मृति की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि यह दिन उन लोगों को याद करने के लिए है जिनका अपना संघर्ष और बलिदान कभी भूला नहीं जा सकता। घृणा और हिंसा की हद के कारण करोड़ों लोग प्रभावित हुए थे। विभाजन के कारण किसी का घर छूटा और किसी की जान गई।

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