भारत का सहकारी आंदोलन असमान, कुछ राज्य हुए समृद्ध, बाकी अभी भी कर रहे हैं संघर्ष: अमित शाह
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा- अगर हम देश के सहकारिता आंदोलन का नक्शा देखें तो हम देख सकते हैं कि यह असमान हो गया है। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां आंदोलन समृद्ध हुआ है जबकि यह अभी भी अन्य राज्यों में संघर्ष कर रहा है।
By Ashisha Singh RajputEdited By: Updated: Fri, 12 Aug 2022 05:07 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को ग्रामीण सहकारी बैंकों के एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत का समग्र सहकारी आंदोलन कुछ राज्यों में समृद्ध होने के साथ 'असमान' रहा है। वहीं दूसरों की अवधारणा को दूर करने में विफल यह रहा है। इसके साथ ही गृह मंत्री ने सहकारी समितियों से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के कुशल कामकाज के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति और प्रचार तैयार करने का भी आग्रह किया।
गृह मंत्री ने अमित शाह ने कहा-
- गृह मंत्री ने कहा, 'यदि हम देश के सहकारिता आंदोलन का नक्शा देखें तो हम देख सकते हैं कि यह असमान हो गया है। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां आंदोलन फला-फूला है, जबकि अन्य राज्यों में यह अभी भी संघर्ष कर रहा है। कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां आंदोलन सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह गया है।'
- केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'अगर हम देश की हर तहसील और पंचायत तक सहकारिता आंदोलन का विस्तार करना चाहते हैं, तो हमें एक अलग रणनीति के बारे में सोचने की जरूरत है।'
आपको मालूम हो कि सहकारी क्षेत्र की सारी क्षमता को ध्यान में रखते हुए और सभी राज्यों को एक साथ विकास की ओर ले जाते हुए, जुलाई 2021 में केंद्र सरकार ने सहकारिता के लिए एक नया मंत्रालय पेश किया था। वहीं इस साल जून में, केंद्र सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के कम्प्यूटरीकरण को उनकी दक्षता बढ़ाने और उनके संचालन में पारदर्शिता और अधिक जवाबदेही लाने के लिए मंजूरी दी थी।
बता दें कि इस परियोजना में 2,516 करोड़ रुपये के कुल बजट परिव्यय (total budget outlay) और 1,528 करोड़ रुपये के केंद्र के हिस्से के साथ पांच वर्षों में लगभग 63,000 कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण का प्रस्ताव है।
ग्रामीण सहकारी बैंकों पर आज के सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अमित शाह ने कहा कि अधिक किसानों को पैक्स प्रणाली के तहत लाने की आवश्यकता है। देश में विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड ऋण का 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) पैक्स खाते हैं और इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) पैक्स के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों के हैं।