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'बॉर्डर को मर्यादा सीमा नहीं, मीटिंग प्वाइंट बनाना होगा', अमित शाह ने सीमा पार की न्यायिक चुनौती का मुद्दा उठाया

कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय एटार्नी एंड सालिसिटर जनरल कान्फ्रेंस के समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा पार की न्यायिक चुनौतियों को प्रमुखता से उठाया। गृह मंत्री ने वैश्विक न्यायिक चुनौतियों और संस्थागत पहुंच को सबसे प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बताते हुए जोर दिया कि इस पर आगे भी काम होना चाहिए।इस पर अकादमिक चर्चा होकर रह जाती है तो इसका कोई मतलब नहीं है।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Updated: Sun, 04 Feb 2024 08:46 PM (IST)
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अमित शाह ने सीमा पार की न्यायिक चुनौती का मुद्दा उठाया (Image: ANI)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कॉमनवेल्थ लीगल एजुकेशन एसोसिएशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय एटार्नी एंड सॉलिसिटर जनरल कान्फ्रेंस के समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने सीमा पार की न्यायिक चुनौतियों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि अपराध और व्यापार, दोनों ही आज भौगोलिक सीमा को पार कर चुके हैं।

अपराध को नियंत्रित करने और व्यापार को बढ़ाने के लिए सिर्फ राष्ट्रमंडल देशों को ही नहीं, बल्कि विश्व के सभी देशों को मिलकर आगे काम करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि अपराध और व्यापार के लिए बॉर्डर को मर्यादा सीमा नहीं, मीटिंग प्वाइंट बनाना होगा।

भारत में लोकतंत्र की भावना और संविधान की जड़ें कितनी गहरी

विज्ञान भवन में आयोजित कान्फ्रेंस में रविवार को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु की मौजूदगी में मुर्मु की ही बात को दोहराते हुए अमित शाह ने दावा किया कि पिछड़े क्षेत्र के आदिवासी वर्ग के व्यक्ति का राष्ट्रपति पद तक पहुंचना बताता है कि भारत में लोकतंत्र की भावना और संविधान की जड़ें कितनी गहरी हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह कान्फ्रेंस ऐसे समय में हो रही है, जब भौगोलिक सीमा का विश्व में कोई महत्व नहीं रहा है। न कामर्स के लिए रहा है और न ही क्राइम के लिए। हमें इससे निपटना है तो कोई न कोई नई व्यवस्था और परंपरा शुरू करनी होगी।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का जुड़ाव गहरा

गृह मंत्री ने वैश्विक न्यायिक चुनौतियों और संस्थागत पहुंच को सबसे प्रासंगिक और महत्वपूर्ण बताते हुए जोर दिया कि इस पर आगे भी काम होना चाहिए। यदि इस पर अकादमिक चर्चा होकर रह जाती है तो इसका कोई मतलब नहीं है। इससे संबंधित कार्यवाही के बिंदुओं को कानून निर्माता एजेंसियों के साथ साझा कर आगे बढ़ना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि छोटे साइबर फ्रॉड से लेकर वैश्विक संगठित अपराध, स्थानीय सीमा विवाद से लेकर वैश्विक सीमा विवाद तक और स्थानीय अपराध से लेकर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का जुड़ाव भी गहरा हो चुका है।

आज अपराध और अपराधी, दोनों ही सीमा को नहीं मानते

आज अपराध और अपराधी, दोनों ही सीमा को नहीं मानते हैं। इनके नियंत्रित करने की दिशा में कानून के पालन के लिए कुछ आगे करना होगा, अन्यथा अपराध रोकने और व्यापार को बढ़ाने के लिए विश्व का वातावरण नहीं बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि भौगोलिक सीमा कानून के लिए मर्यादा नहीं होनी चाहिए, बल्कि मीटिंग प्वाइंट होना चाहिए। तभी हम मिलकर न्याय नीचे तक पहुंचा पाएंगे। हमें सहयोग और समन्वय को मूल मंत्र बनाना होगा। भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए अमित शाह ने राष्ट्रमंडल देशों के प्रतिनिधियों को बताया कि भारत ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है।

19वीं सदी के कानून से 21वीं सदी में...

व्यापारिक विवाद और आपराधिक कानूनों के पूर्ण सुधार के लिए लंबी चर्चा के बाद इसका कलेवर और स्वरूप बदला है। तकनीक का उपयोग हर जगह इतना बढ़ाया है कि तकनीक में आने वाले सौ वर्ष में जितने भी बदलाव आएंगे, उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा। शाह ने कहा कि आज बदले परिदृश्य के साथ न्याय पालिका को भी बदलना होगा। हम 19वीं सदी के कानून से 21वीं सदी में जस्टिस डिलीवरी नहीं कर पाएंगे।

भारत में बनाए गए तीन कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून के पूरी तरह लागू होने के बाद भारत विश्व में सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम बनेगा। साथ ही दावा किया कि तीनों कानूनों के पूरी तरह अमल में आने के बाद किसी भी एफआइआर को हाईकोर्ट तक तीन साल में न्याय मिल जाएगा, यह हमने सुनिश्चित कर दिया है।

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