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Lok Sabha: 'दादा आपकी उम्र हो चुकी है..',अमित शाह ने 'एक देश-एक निशान' पर TMC सांसद को सुनाई खरी-खरी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि एक निशान एक प्रधान एक संविधान की अवधारणा कोई राजनीतिक नारा नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस सिद्धांत में विश्वास करती है और जम्मू कश्मीर के संबंध में आखिरकार इसे लागू कर दिया गया। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के संदर्भ में टिप्पणी का जवाब दिया।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 05 Dec 2023 08:45 PM (IST)
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में अपनी बात रखते हुए। (फोटो- एएनआई)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि 'एक निशान, एक प्रधान और एक विधान' सिर्फ एक नारा नहीं है। शाह ने तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय द्वारा 'एक निशान, एक प्रधान और एक विधान' को राजनीतिक नारा बताये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। शाह ने कहा कि इस सिद्धांत पर हमारा पूर्ण विश्वास है और जम्मू-कश्मीर में इसे पूरा भी किया है।

जम्मू-कश्मीर से संबंधित विधेयक पर चर्चा

जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों पर अमित शाह बुधवार को बिंदुवार जवाब देंगे। इस विधेयक में विस्थापित कश्मीरियों और पीओके से आए विस्थापितों को विधानसभा में नामित करने का प्रविधान है।

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सदन में राजनीतिक बयानबाजी

इसके साथ ही दूसरे विधेयक में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण का प्रविधान किया गया है। मंगलवार को चर्चा के दौरान किसी भी दल ने आरक्षण का विरोध तो नहीं किया लेकिन राजनीतिक बयानबाजी खूब हुई। दोनों संशोधन विधेयकों पर बोलते हुए सौगत राय ने पश्चिम बंगाल से आने वाले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हवाला दिया।

'एक निशान, एक प्रधान और एक विधान' पर दिखा शाह का तेवर

इस पर पीयूष गोयल ने कहा कि उन्हें श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम भी लेना चाहिए और कश्मीर के लिए उनके बलिदान को भी याद करना चाहिए। इस पर सौगत राय ने कहा कि वे जिस कालेज में पढ़ाते थे, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर था। इसी क्रम में उन्होंने ''एक निशान, एक प्रधान और एक विधान'' को एक राजनीतिक बता दिया।

शाह ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए साफ किया कि यह सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि 1950 से ही कहते आ रहे हैं कि देश में एक निशान, एक विधान और एक प्रधान होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान और अलग झंडे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जिसने भी यह किया था गलत था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे ठीक कर दिया।

जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग

कांग्रेस के मनीष तिवारी, नेशनल कांफ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला और हसनैन मसूदी समेत विपक्ष की ओर लगभग वक्ताओं ने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग की। मनीष तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में सोलिसिटर जनरल के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार राज्य में चुनाव की तारीखी नहीं बता रही है।

उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त किये जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित होने के पहले उससे जुड़े कानूुन को बदलने का विधेयक लाने पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे के जल्द बहाली की भी जरूरत बताई।

हसनैन मसूदी ने अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद कश्मीर में शांति स्थापित होने और हालात सुधरने के दावे को खोखला बताते हुए सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया। इस सिलसिले में उन्होंने हाल ही में आतंकियों के साथ मुठभेढ़ में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौत का हवाला दिया।

जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर विपक्षी नेताओं के टिप्पणियों का सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने तीखा प्रतिकार किया। अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी भी जवान की मौत दुखद है। लेकिन विपक्षी नेता यह भूल रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में उनके कार्यकाल के दौरान पिछले 70 सालों में 45 हजार से अधिक लोग मारे गए थे।

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उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल पहले लाल चौक पर तिरंगा फहराने की इजाजत नहीं दी गई थी, लेकिन आज वहां हर घर में तिरंगा फहरा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद से पत्थरबाजी पूरी तरह से बंद हो गई है। तृणमूल कांग्रेस सौगत राय की इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति काफी बेहतर हो गई है, लेकिन पश्चिम बंगाल की स्थिति बदतर होती जा रही है।

इसका उदाहरण भाजपा को विकसित भारत संकल्प यात्रा निकालने की इजाजत नहीं देना भी है। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने साफ किया कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का फैसला चुनाव आयोग करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी ओर से तैयार है। उन्होंने कहा कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा करना चाहिए और उसके काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।