G20 Summit: अमिताभ कांत, शक्तिकांत दास, श्रृंगला और परदेशी रहे जी-20 की सफलता के सूत्रधार
भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणापत्र पर आम सहमति कायम होना वैश्विक राजनीति में भारत के बढ़ते मान-सम्मान का प्रमाण तो है ही यह पूरा आयोजन स्वतंत्रता के अमृत काल में देश की क्षमता के प्रदर्शन का सबसे बड़ा प्रतीक भी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वित्त मंत्री सीतारमण और विदेश मंत्री जयशंकर ने सफलता की कहानी लिखी।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 08:13 PM (IST)
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणापत्र पर आम सहमति कायम होना वैश्विक राजनीति में भारत के बढ़ते मान-सम्मान का प्रमाण तो है ही, यह पूरा आयोजन स्वतंत्रता के अमृत काल में देश की क्षमता के प्रदर्शन का सबसे बड़ा प्रतीक भी है।
इतना बड़ा आयोजन-सम्मेलन बड़े पैमाने पर नियोजन, संसाधनों के इस्तेमाल और सब कुछ निर्धारित लाइनों पर चलने के लिए जरूरी अनुशासन के सहारे ही संभव हो सका, लेकिन कुछ ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने इसकी सबसे पहले रूपरेखा बनाने से लेकर दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र पर सदस्य देशों को राजी करने तक सबसे अहम योगदान दिया है।
इनमें स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे प्रमुख हैं, जिनके नेतृत्व और हर एक बारीकी पर करीबी नजर रखने की विशेषता का उल्लेख शनिवार को प्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय शेरपा अमिताभ कांत ने भी किया।
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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अध्यक्षता वाले जी-20 शिखर सम्मेलन को आम जनता का जी-20 सम्मेलन बनाने के लिए हर मोर्चे का सबसे आगे रहते हुए नेतृत्व किया। यह उनका ही सुझाव था कि शिखर सम्मेलन के पहले इससे संबंधित आयोजन पचास से अधिक शहरों में आयोजित किए गए। इन बैठकों का इस्तेमाल भारत की संस्कृति, विरासत के प्रदर्शन के लिए किया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मसलों पर तमाम देशों के साथ बातचीत का नेतृत्व किया और भारत के रुख और बढ़ती आर्थिक धमक से दुनिया के नेताओं को परिचित कराया। वह पिछले एक साल से लगातार इसके आयोजनों को लेकर सक्रिय रहीं। जिन लोगों को इस सफल आयोजन का सबसे अधिक श्रेय जाएगा उनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हैं।जयशंकर विस्तार से अपनी बात रखते हैं, लेकिन उनके शब्दों के चयन की मिसाल दी जाती है। शिखर सम्मेलन की उपलब्धि को लेकर रूस-यूक्रेन जैसे जटिल मसले पर तमाम देशों को राजी करना हिमालयी काम ही था। अमिताभ कांत ने कहा भी कि उन्हें जब जरूरत हुई है तब विदेश नीति के जटिल मसलों पर जयशंकर की सलाह मिली।