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FEMA उल्लंघन के मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल पर 52 करोड़ का जुर्माना, FCRA लाइसेंस के बिना विदेशी धन मंगाने का आरोप

गृहमंत्रालय ने एमनेस्टी की भारत विरोधी गतिविधियों को देखते हुए एफसीआरए लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। एमनेस्टी गृहमंत्रालय की पूर्व अनुमति (प्रायर परमिशन) लेकर 2000 से समय-समय पर विदेशी धन मंगाता रहा है। 2010 के बाद गृहमंत्रालय ने पूर्व अनुमति देना भी बंद कर दिया था।

By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 08:48 PM (IST)
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एमनेस्टी इंटरनेशनल पर 52 करोड़ का जुर्माना (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के उल्लंघन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल पर 52 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसी मामले में एमनेस्टी के सीईओ आकार पटेल पर भी 10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। एमनेस्टी और आकार पटेल पर गृहमंत्रालय के एफसीआरए लाइसेंस के बिना विदेश से धन मंगाने और उनका अन्य गतिविधियों में उपयोग करने का आरोप है।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल एफसीआरए लाइसेंस नहीं होने के बावजूद 2010 से लेकर 2018 तक विदेश से धन मंगाता रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान 51.72 करोड़ रुपये सेवाओं का निर्यात(मुख्यत: आइटी, वित्त, कंसलटेंसी) दिखाकर मंगाए गए और उसका इस्तेमाल एमनेस्टी की गतिविधियों के लिए किया गया। जांच में एमनेस्टी सेवाओं के निर्यात का एक भी सबूत नहीं पेश कर सका। जबकि विदेश से आए धन का दूसरे कामों में इस्तेमाल के सबूत जांच एजेंसी के पास मौजूद थे।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सीधे-सीधे एफसीआरए नियमों का उल्लंघन है और इसीलिए इस रकम के बराबर एमनेस्टी पर जुर्माना लगाने का फैसला किया। जुर्माना लगाने के ईडी के फैसले पर शुक्रवार को पीएमएलए एडजुडिकेटिंग अथोरिटी ने भी मुहर लगा दी। वैसे एमनेस्टी और आकार पटेल एडजुडिकेटिंग अथारिटी के फैसले के खिलाफ पीएमएलए एपेलेट ट्रिब्युनल में अपील कर सकते हैं।

गौरतलब है कि गृहमंत्रालय ने एमनेस्टी की भारत विरोधी गतिविधियों को देखते हुए एफसीआरए लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। एमनेस्टी गृहमंत्रालय की पूर्व अनुमति (प्रायर परमिशन) लेकर 2000 से समय-समय पर विदेशी धन मंगाता रहा है। 2010 के बाद गृहमंत्रालय ने पूर्व अनुमति देना भी बंद कर दिया। इसी के बाद एमनेस्टी ने अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए सेवाओं का निर्यात दिखाकर धन मंगाने का फैसला किया।