नक्सलियों के आने के बाद से बस्तर में भय, शोषण और डर का माहौल, पीड़ितों से मिल भावुक हुए अमित शाह
जंतर-मंतर पर मौन प्रदर्शन और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अपनी पीड़ा देशवासियों को बताने के लिए शुक्रवार को बस्तरवासी जेएनयू परिसर पहुंचे। विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ आपबीती साझा की और आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय की मांग की। बस्तर शांति समिति के सदस्य मागहु राम कावड़े ने कहा चार दशक पहले आंध्र प्रदेश से माओवादी आए। संस्कृति को नष्ट करने लगे।
मुहम्मद रईस, जागरण नई दिल्ली। दिल्ली के किसी चौक-चौराहे पर बिना हेलमेट बाइक चलाने पर तुरंत चालान कट जाता है। फोन पर इसका मैसेज भी पहुंच जाता है। कानून-व्यवस्था को लेकर तमाम इंतजाम हैं, लेकिन देश में ऐसी जगह भी है, जहां दिनदहाड़े लोगों को गोली मार दी जाती है। बम फोड़े जाते हैं। विकास चाहने वालों की तब तक पिटाई की जाती है, जब तक कि उनका दम न निकल जाए। यह सब कुछ छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के रहने वाले चार दशक से झेल रहे हैं।
जंतर-मंतर पर मौन प्रदर्शन और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अपनी पीड़ा देशवासियों को बताने के लिए शुक्रवार को बस्तरवासी जेएनयू परिसर पहुंचे। विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ आपबीती साझा की और आने वाली पीढ़ियों के लिए न्याय की मांग की।
बस्तर शांति समिति के सदस्य ने सुनाई आपबीती
बस्तर शांति समिति के सदस्य मागहु राम कावड़े ने कहा कि 40 साल पहले जहां ढोल और मांदर की थाप सुनाई देती थी, खुशहाली थी, वहां नक्सलियों के आने के बाद भय, शोषण और डर का माहौल है। जयराम दास ने कहा कि बस्तर संभाग में आदिवासी भाई-बहन सदियों से अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ रहते आए हैं। चार दशक पहले तेलंगाना (तत्कालीन आंध्र प्रदेश) से माओवादी आए। संस्कृति को नष्ट करने लगे। देवी-देवताओं को मानने पर पाबंदी लगाई। देवगुड़ी जाने से भी रोकते हैं। मार्क्स, लेनिन और माओ को मानने का निर्देश देते हैं।आगे बताया कि बच्चों के लिए स्कूल नहीं हैं, महिलाओं के लिए अस्पताल नहीं हैं। रास्ते पर चलते हुए कहीं भी आइईडी फट जाते हैं। जंगल से लकड़ी लाने में भी डर लगता है। रात को सोते समय किसी को भी नक्सली उठा लेते हैं। बाप को बेटों के सामने और बेटों को बाप के सामने गोली मार देते हैं।माओवाद का समर्थन करने वाले कथित बुद्धिजीवियों से पूछना है कि उन्हें बस्तरवासियों की तकलीफ क्यों नजर नहीं आई। विद्यार्थियों ने नक्सल पीडि़तों से सीधा संवाद किया। इस अवसर पर लेखक व बस्तर शांति समिति के सदस्य राजीव रंजन, एबीवीपी जेएनयू अध्यक्ष राजेश्वर, सचिव शिखा स्वराज आदि उपस्थित रहे।
मां के सामने बेटे को मारी गोली, पेट चीर डाला
बस्तर के कोंडा गांव के केदारनाथ कश्यप 12 मार्च, 2014 को अपने भाई रुपेंद्र कश्यप के साथ बाजार गए थे। अचानक नक्सली पहुंचे और उनके भाई पर गोली चला दी। दो गोली सीने में लगी और तीसरी कोहनी को चीरते हुए केदारनाथ की जांघ में जा लगी। दोनों भाई अलग-अलग दिशा में भागे। उनके भाई कुछ दूर जाकर गिर पड़े। नक्सलियों ने फिर तीन गोली मारी। सांस चलती देख चाकू से अंतड़ियां बाहर निकाल दीं। मां राधा कश्यप बेटे के जीवन की भीख मांगती रहीं, लेकिन नक्सलियों को रहम नहीं आई।