अनंत अंबानी के देखरेख में चल रहा ‘Vantara’, देश-दुनिया के बीमार-घायल वन्यजीवों को मिला नया जीवन
रिलायंस समूह और फाउंडेशन जामनगर में वनतारा प्रोजेक्ट के जरिए वन्यजीवों के जीवन में नई मिठास घोलने में जुटा है। मौजूदा समय में वनतारा में दो सौ से अधिक बुजुर्ग और बीमार हाथियों के साथ ही शेरतेंदुआ सहित 43 प्रजातियों के दो हजार से ज्यादा वन्यजीवों की सेवा की जा रही है।यह अनूठी मुहिम रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी की देखरेख में चल रही है।
अरविंद पांडेय, जामनगर। हाथी, बाघ सहित दूसरे वन्यजीवों के साथ देश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मानव का जब संघर्ष चल रहा है, ऐसे में रिलायंस समूह और फाउंडेशन जामनगर (गुजरात) में वनतारा प्रोजेक्ट के जरिए वन्यजीवों के जीवन में नई मिठास घोलने में जुटा है। जहां बेड़ियों और पिजरों से निकालकर उन्हें जंगल जैसा एक परिवेश दिया जा रहा है।
मौजूदा समय में वनतारा में दो सौ से अधिक बुजुर्ग और बीमार हाथियों के साथ ही शेर, बाघ, तेंदुआ, बंदर, मगरमच्छ सहित 43 प्रजातियों के दो हजार से ज्यादा वन्यजीवों की समर्पित भाव से सेवा की जा रही है।
अनंत अंबानी की देखरेख में चल रही वनतारा
बुजुर्ग, बीमार व घायल वन्यजीवों के साथ ही विलुप्त होने के कगार पर खड़े वन्यजीवों को नया जीवन देने की यह अनूठी मुहिम रिलायंस समूह के मुखिया मुकेश अंबानी के पुत्र अनंत अंबानी की देखरेख में चल रही है। जिनकी खुद भी वन्यजीवों की सेवा में काफी रूचि है। उनका कहना है कि वन्यजीवों की सेवा भगवान की सेवा है। यह पुण्य का काम है।वनतारा के एक हिस्से में हाथियों का सेवा आश्रम
तीन हजार एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैले वनतारा के एक हिस्से में हाथियों का सेवा आश्रम है। उनकी पसंद की 24 तरह की घासें भी उन्हें हर दिन खाने के लिए दी जाती है। इसके साथ ही इस परिसर में हाथियों का एक विश्वस्तरीय अस्पताल है, जिसमें सीटी स्कीन मशीन, एक्स -रे, आक्सीजन थैरेपी, आयुर्वेद और एक्यूप्रेशर जैसे सभी सुविधाएं है।
वनतारा में लाए गए ज्यादातर हाथी और दूसरे वन्यजीव पालतू किस्म के है। जिन्हें सर्कस, मंदिर-मठों या ऐसे लोगों के पास से लाए गए है, जिन्हें लोगों ने पाल रखा था। कुछ हाथियों ट्रेन की चपेट में गंभीर रूप से घायल होने के बाद यहां उपचार के लिए लाया गया है। यहां करीब 40 हाथी ऐसे भी है, जो पूरी तरह से अंधे है।
हाथियों में मोतियाबिंद पाए जाने के बाद हुआ ऑपरेशन
जांच में कई हाथियों में मोतियाबिंद पाए जाने के बाद यहां उनका ऑपरेशन भी किया गया है। वन्यजीवों और मानव के बीच संघर्ष से जुड़े सवाल पर अंनत ने बताया कि वह इस दिशा में भी पहल कर रहे है। उनकी टीम ओडिशा, झारखंड सहित देश के कई राज्यों में वन्यजीवों के इस संघर्ष को थामने के लिए अपनी विशेषज्ञ सेवाएं दी है। आगे भी जहां जरूरत होगी वह मदद देंगे। गौरतलब है कि देश में हाथियों के साथ संघर्ष में वर्ष 2021-22 में 545 और वर्ष 2022-23 में 605 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है।