Uniform Civil Code: विधि आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति से समान नागरिक संहिता को मिल सकती है रफ्तार
विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद समान नागरिक संहिता के मामले को रफ्तार मिल सकती है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि समान नागरिक संहिता का मामला पहले से ही विधि आयोग के समक्ष विचाराधीन है।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Wed, 16 Nov 2022 07:30 PM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद समान नागरिक संहिता के मामले को रफ्तार मिल सकती है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि समान नागरिक संहिता का मामला पहले से ही विधि आयोग के समक्ष विचाराधीन है। केंद्र सरकार ने भी समान नागरिक संहिता पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा था कि 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति होने के बाद इस मामले को आयोग के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा और विधि आयोग की रिपोर्ट जब आएगी तो सरकार उस पर सभी संबंधित हित धारकों से परामर्श करके उसका परीक्षण करेगी।
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विचाराधीन मामलों पर होगा काम
दैनिक जागरण से खास बातचीत के दौरान विधि आयोग के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने कहा जो भी मामले आयोग के समक्ष विचाराधीन हैं उन सभी पर काम किया जाएगा शोध और अध्ययन करेंगे और जल्दी ही काम पूरा कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। जस्टिस अवस्थी का कहना है कि सभी लंबित प्रोजेक्ट पर काम होगा और समान नागरिक संहिता का मुद्दा भी अगर लंबित है तो उस पर भी काम होगा। वैसे केंद्र सरकार ने आयोग को कोई प्राथमिकता नहीं दी है। ऐसे में लंबित मामलों को एक एक करके पूरा किया जाएगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हाल में ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया है ऐसे में अभी उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि कौन कौन से मामले आयोग के समक्ष विचाराधीन हैं। चार वर्ष से विधि आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली रहने से बाकी का सहयोगी स्टाफ भी नहीं रहा।स्टाफ मिलने के बाद सुचारु रूप से होगा काम
जस्टिस अवस्थी का कहना है कि अभी आयोग के पास शोधकर्ता और कंसल्टेंट नहीं है और आयोग उनकी नियुक्तियां कर रहा है जिसकी प्रक्रिया चल रही है। स्टाफ मिलने के बाद सुचारु रूप से काम शुरू हो पाएगा। केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे को गंभीर मानते हुए और इस पर गहराई से अध्ययन और विचार के लिए मामला विधि आयोग को भेजा था। 21वें विधि आयोग ने विभिन्न हितधारकों से परामर्श के बाद परिवार कानूनों में सुधार की बात कहते हुए परिवार कानूनों में सुधार के बारे में परामर्श पत्र वेबसाइट पर डाले थे। 21 वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गया था। उसके बाद अब 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हुई है जो अब आगे मामले को देखेंगे और विचार करेंगे।गोवा में लागू है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता के बारे में अगर मौजूदा परिस्थितियों को देखा जाए तो लगता है कि सरकार सीधे केंद्र में समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले इसे एक एक कर राज्यों में लागू करने का उपक्रम बना रही है। भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा के बाद उस पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई है। इसके बाद गुजरात सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार के लिए कमेटी गठित करने की घोषणा की थी। हिमाचल चुनाव में भाजपा ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की है। गोवा देश का एकमात्र राज्य है जहां पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है। ऐसे में समान नागरिक संहिता पर माहौल बनता दिख रहा है क्योंकि एक तरफ राज्य सरकारें इसे लागू करने और उसके नियम कानून और दायरे पर विचार के लिए कमेटियां गठित कर रही हैं और दूसरी ओर विधि आयोग में नियुक्तियां होने के बाद वहां लंबित मामला भी आगे बढ़ने की संभावना बनी है।